न्यूयार्क। भारत के शहरों में 2050 तक और 30 करोड़ आबादी जुड़ने का अनुमान है और इसके लिए देश में जलवायु अनुकूल शहरों के विकास की आवश्यकता होगी। यह बात संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कही गई है। संयुक्त राष्ट्र परिवास (यूएन हैबिटैट) ने दुनिया के शहरों पर अपनी पहली रिपोर्ट वर्ल्ड सिटीज रिपोर्ट-2016 (अर्बनाइजेशन एंड डेवलपमेंट) एमर्जिंग फ्यूचर में कहा है कि भारत में सकल घरेलू उत्पाद में शहरी क्षेत्रों का योगदान 60 फीसदी से अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक शहरी आबादी में 30 करोड़ लोगों के और जुड़ने का अनुमान है। इसके चलते भारत सरकार को आने वाले समय में 100 नए शहर बनाने की घोषणा करनी पड़ी है।
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संयुक्त राष्ट्र मानव बस्ती कार्यक्रम रिपोर्ट में कहा गया है कि अतिरिक्त ग्रीन हाउस गैस का जलवायु परिवर्तन पर असर होगा। इसका विकल्प है घने, कम बुनियादी ढांचा और कम-ऊर्जा वाले शहरों का निर्माण करना। रिपोर्ट में कहा गया कि इसके लिए स्थानीय निकायों के पास धन और परिवहन, बिजली, संचार, जलापूर्ति और स्वच्छता जैसे बुनियादी ढांचे के लिए धन की व्यवस्था मुख्य चुनौती है।
बांग्लादेश, भारत और पाकिस्तान जैसे बड़े दक्षिण-एशियाई देश अपने बड़े शहरों, मसलन ढाका, मुंबई, दिल्ली, कराची और लाहौर में अपनी शहरी आबादी का विस्तार कर रहे हैं और दूसरे दर्जे के शहरों की संख्या भी बढ़ा रहे हैं।
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