वाशिंगटन। वर्ल्ड बैंक का अनुमान है कि 2015 के दौरान भारत में रेमिटन्स (मनीआर्डर) 2.50 फीसदी बढ़ सकती है। वर्ल्ड बैंक की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेशों में रह रहे भारतीयों की ओर से घर भेजे जानेवाले धन में बढ़ोत्तरी की संभावना है। 2014 में भारत में मनीआर्डर के जरिए 4569.5 अरब रुपए (70.3 अरब डॉलर) के बराबर धन आया था। जबकि यूरोप, विशेष तौर पर रूस की अर्थव्यवस्था की कमजोरी से मनीआर्डर का फ्लो धीमा हो रहा है।
वर्ल्ड बैंक ने कहा कि दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और विश्व में मनीआर्डर का सबसे अधिक धन प्राप्त करने वाले भारत में 2015 के दौरान मनीआर्डर में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि होगी। यह इस क्षेत्र के औसत से कम रहेगा लेकिन देश में 2014 में हुई 0.6 फीसदी से अधिक होगा।
विश्व बैंक ने कहा भारत में मनीआर्डर के धन में वृद्धि से स्पष्ट है कि अमेरिका में आर्थिक संभावनाएं सुधर रही हैं और जीसीसी (खाड़ी सहयोग परिषद) के देशों में राजकोषीय समर्थन से बाजार में मजबूती बनी हुई है।
भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक भारतीयों द्वारा घर भेजे जाने वाले धन में उत्तरी अमेरिका और जीसीसी क्षेत्र का योगदान 35-35 फीसदी है।
वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि भारतीय रुपए की विनिमय दर में हाल में आई नरमी से विदेशी मनीआर्डर को प्रोत्साहन मिला है। अगले दो साल तक दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय में मनीआर्डर के धन में सालाना वृद्धि घट कर चार फीसदी से अधिक रहने का अनुमान है। क्यों कि नेपाल में भूकंप के बाद मनीआर्डर के प्रवाह में आई तेजी शांत होने की संभावना है। वहीं, कच्चे तेल के दाम में गिरावट का असर जीसीसी देशों से प्राप्त होने वाले मनीआर्डर पर पड़ना स्वाभाविक है।
वर्ल्ड बैंक ने कहा कि विकासशील देशों में 2015 के दौरान विदेशी मनीआर्डर से कुल 435 डॉलर की प्राप्ति होने की उम्मीद है जो पिछले साल के मुकाबले दो फीसदी अधिक होगी।
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