नई दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर निजी खपत में भारी बढ़ोतरी के मद्देनजर चालू वित्त वर्ष के दौरान आठ फीसदी रह सकती है। पीएचडी चैंबर ऑफ कामर्स के मुताबिक कच्चे तेल के दाम घटने और उच्च वास्तविक आय से निजी उपभोग बढ़ा है। रिजर्व बैंक ने 2016-17 के लिए वृद्धि दर के अनुमान को 7.6 फीसदी पर कायम है। इसमें कहा गया, रुझान में सुधार और औद्योगिक गतिविधियों में तेजी के साथ निजी निवेश में सुधार से आने वाले समय में वृद्धि और मजबूत होने की उम्मीद है।
चैंबर ने अनुमान जताया कि 2015 में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में भारत की हिस्सेदारी दोगुनी होकर 2.86 फीसदी हो जाएगी जो 2000 में 1.43 फीसदी थी। पीएचडी चैंबर के अध्यक्ष महेश गुप्ता ने कहा, भारत का सकल घरेलू उत्पाद 2000 में 477 अरब डॉलर था जो 2015 में बढ़कर 2,091 अरब डॉलर हो गया जो पिछले 15 साल की अवधि में चार गुना बढ़ोतरी है।
ब्रिक्स के पांच देशों का विश्व की कुल आबादी में करीब 42 फीसदी योगदान है जबकि इन देशों में विश्व की कुल एक चौथाई भूमि है और इनका सकल घरेलू उत्पाद 16,000 अरब डॉलर से अधिक है। ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका (ब्रिक्स) की अर्थव्यवस्थाओं का 2015 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में योगदान बढ़कर 22.53 फीसदी हो गया जो 2000 में 8.27 फीसदी था।