सिडनी। भारत में सभी नागरिकों को 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने का सपना बहुत महंगा है। इस सपने को पूरा करने के लिए 2030 तक पावर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने और विस्तार देने के लिए सरकार द्वारा 1 लाख करोड़ डॉलर (तकरीबन 65 लाख करोड़ रुपए) का निवेश करने की संभावना है। बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता देश भारत अपने नागरिकों को चौबीसों घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है।
उन्होंने कहा कि देश में पावर सेक्टर एक महत्वपूर्ण मोड़ बिंदु पर है और हमारा ध्यान टैरिफ और फ्यूल प्राइसिंग की पारदर्शी पॉलिसी के साथ एक एकीकृत दृष्टिकोण विकसित करने पर है, जिससे ईज ऑफ डूईंग बिजनेस को बढ़ावा दिया जा सके। यहां भारत-ऑस्ट्रेलिया ऊर्जा संवाद के अवसर पर उन्होंने कहा, जबकि दुनिया में नरम आर्थिक माहौल है और लगभग न के बराबर वृद्धि है, भारत आशा की किरण बना हुआ है। हम इस छवि का इस्तेमाल करेंगे और इसे और मजबूत बनाते हुए ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों को अपने यहां निवेश के लिए आमंत्रित करेंगे।
उन्होंने कहा कि भारत व ऑस्ट्रेलिया को साथ मिलकर विभिन्न क्षेत्रों में निवेश करना चाहिए, जिनमें ऊर्जा एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। भारत बिजलीघरों के लिए एलएनजी, कोयला खनन, स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, अनुसंधान व विकास के साथ-साथ प्रमुख अनुसंधान संस्थानों के साथ गठजोड़ पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। उन्होंने कहा कि हम बहुत बड़े और विकसित होते बाजार हैं। उन्होंने कहा कि अपने नागरिकों को 24 घंटे किफायती और स्वच्छ बिजली उपलब्ध कराने और बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अगले 15 साल में पावर सेक्टर में तकरीबन 65 लाख करोड़ रुपए का निवेश संभावित है।
भारत ने 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 175 गीगावाट करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। 2022 तक 100 गीगावाट सौर ऊर्जा के साथ ही 260 गीगा वाट थर्मल और न्यूक्लियर ऊर्जा तथा 62 गीगा वाटर हाइड्रो जनरेशन क्षमता का लक्ष्य है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) के अनुमान के मुताबिक भारत 2015 से 2040 के बीच टीएंडडी (ट्रांसमिशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन) नेटवर्क पर 845 अरब डॉलर का निवेश करेगा।