नई दिल्ली। झींगा मछली का निर्यात वर्ष 2021 में 20 प्रतिशत बढ़कर लगभग 4.3 अरब डॉलर का होने की उम्मीद है। पिछले साल कोविड-19 महामारी की वजह से उत्पन्न बाधाओं के उपरांत मांग के पुन: बढ़ने और आपूर्ति श्रृंखलाओं के फिर से बहाल होने के कारण झींगा मछली का निर्याति बढ़ने की उम्मीद है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने रिपोर्ट में कहा कि वर्ष 2020 में दूसरे स्थान पर खिसकने के बाद भारत झींगा निर्यात में वैश्विक स्तर पर फिर शीर्ष स्थान हासिल कर सकता है।
क्रिसिल रेटिंग्स के निदेशक राहुल गुहा ने कहा कि भारत का झींगा निर्यात कैलेंडर वर्ष 2020 में 23 प्रतिशत कम हुआ है, जो प्रमुख निर्यात बाजारों में मांग में कमी और अमेरिका से मछली बीज स्टॉक की आपूर्ति में व्यवधान के कारण हुआ है, जिसने घरेलू झींगा फसल चक्र को प्रभावित किया। उन्होंने कहा कि अच्छी बात यह है कि महामारी की दूसरी लहर ने कच्चे माल और स्टॉक की आवाजाही पर कड़े प्रतिबंध नहीं लगाए हैं, इसलिए यह पहली लहर की तरह नुकसानदेह नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि इसलिए, हम उम्मीद करते हैं कि निर्यातक अपने परिचालन को अच्छी तरह से प्रबंधित करेंगे और इस साल औसतन 20 प्रतिशत की वृद्धि करेंगे। वर्ष 2020 में, लॉकडाउन और आपूर्ति-श्रृंखला में व्यवधान के कारण निर्यात 2019 के 4.7 अरब डॉलर से घटकर 3.6 अरब डॉलर रह गया। इक्वाडोर ने 3.7 अरब डॉलर के निर्यात के साथ भारत को पीछे छोड़ दिया क्योंकि वहां लॉजिस्टिक की दिक्कते कम थी और उसने कच्चे झींगे के लिए चीन की भारी मांग को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित किया गया था। वैश्विक झींगा बिक्री में भारत, इक्वाडोर और वियतनाम की हिस्सेदारी 55 प्रतिशत की है।
गुणवत्ता और रोग नियंत्रण पर विशेष ध्यान देने तथा अमेरिका से अधिक उपयुक्त, विशिष्ट रोगाणु-मुक्त झींगा मछली बीज स्टॉक को अपनाने के कारण, भारत पिछले एक दशक में एक झींगा निर्यातक के रूप में प्रमुखता से उभरा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के उत्पादकों को राज्य सरकारों द्वारा बनाए गए जलीय कृषि क्षेत्रों तथा बिजली और पूंजी के लिए दी जाने वाली सब्सिडी से भी लाभ प्राप्त हुआ है। इसमें कहा गया है कि केन्द्र सरकार की खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं की हालिया घोषणा, जिसमें मूल्य वर्धित झींगा भी शामिल हैं, से इस साल भारत की निर्यात हिस्सेदारी में सुधार होना चाहिए।
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