नई दिल्ली। कोरोना संकट से प्रभावित अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए भारत राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेज की एक और कड़ी की घोषणा कर सकता है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने सोमवार को यह अनुमान जाहिर किया। फिच ने पिछले हफ्ते भारत की रेटिंग के आउटलुक को स्थिर से नकारात्मक कर दिया था। उसने कहा कि रेटिंग के बारे में निर्णय लेते हुए अतिरिक्त राजकोषीय प्रोत्साहन के कारक को भी शामिल किया है।
फिच के निदेशक सॉवरेन रेटिंग थॉमस रूकमेकर ने कहा कि कोविड-19 अभी भी भारत में है और इस बात की "बहुत संभावना" है कि सरकार को अर्थव्यवस्था का समर्थन करने के लिये वित्तीय उपायों पर थोड़ा अधिक खर्च करना होगा। उन्होंने कहा, “हमारे पूर्वानुमान में हमने बड़े प्रोत्साहन पैकेज को शामिल किया है, न कि अभी तक के घोषित राजकोषीय उपायों भर को, जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का महज एक प्रतिशत है। आपको याद होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीडीपी के 10 प्रतिशत के बराबर के उपायों की घोषणा की थी, इनमें से नौ प्रतिशत घोषणाएं प्रकृति में गैर-राजकोषीय थीं। बॉन्ड जारी करने को लेकर भी घोषणा की गयी थी और वह जीडीपी के दो प्रतिशत के बराबर होना था।
रूकमेकर ने फिच रेटिंग्स के एक वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा, "यह एक संकेत दे सकता है कि अतिरिक्त एक प्रतिशत (जीडीपी के एक प्रतिशत) के उपाय आने वाले महीनों में उनके लिये घोषित हो सकता है, जिन्हें जरूरत है।’’ पिछले महीने घोषित 21 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक राहत पैकेज में सरकारी उपाय और आरबीआई के उपाय भी शामिल हैं। केंद्र सरकार ने बाजार से कर्ज जुटाने की सीमा को भी 2020-21 के 7.8 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान से 12 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ा दिया है। फिच ने चालू वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था में पांच फीसदी की गिरावट आने का अनुमान लगाया है।