नई दिल्ली। भारत ने ईरान के चाबहार बंदरगाह पर एलएनजी टर्मिनल स्थापित करने में रचि दिखाई है ताकि वहां से तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) की खेप देश में भेजी जा सके। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने आज यह बात कही। भारत हाइड्रोकार्बन में धनी ईरान के साथ जुड़ना चाहता है और यही वजह है कि उसने ईरान के साथ तेल एवं गैस क्षेत्र में 20 अरब डालर के निवेश की योजनायें तैयार की हैं। उल्लेखनीय है कि ईरान हाल ही में पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से मुक्त हुआ है। प्रधान ने कहा कि उन्होंने 9 अप्रैल को तेहरान की अपनी यात्रा के दौरान चाबहार विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) सहित भारतीय कंपनियों द्वारा वहां उर्वरक और पेट्रोरसायन संयंत्र लगाने की रचि के बारे में अवगत कराया है।
पेट्रोलियम मंत्री ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया, ये परियोजनायें या तो भारतीय और ईरानी सार्वजनिक उपक्रमों के बीच संयुक्त उद्यम कंपनियों के जरिये होगा या फिर निजी क्षेत्र के भागीदारों के साथ होगा। प्रधान ने कहा कि उन्होंने परियोजना के लिए ईरान से सेज में भूमि आवंटित करने को कहा है लेकिन इस संबंध में अभी तक सहमति ग्यापन पर कोई समझौता नहीं हुआ है। उन्होंने ईरान से एलपीजी आयात में भी रचि दिखाई है और चाबहार बंदरगाह के समीप एक एलपीजी एक्सट्रेक्शन संयंत्र लगाने का भी प्रस्ताव किया है। भारत ईरान से जलपोतों के जरिये अथवा प्रस्तावित ईरान-पाकिस्तान-भारत गैस पाइपलाइन के जरिये प्राकृतिक गैस आयात का भी इच्छुक है।
कतर से संशोधित एलएनजी करार से गैस का दाम 5 डॉलर प्रति इकाई से नीचे आया
कतर के साथ एलएनजी करार में संशोधन से आयातित प्राकृतिक गैस की लागत को 12 डालर प्रति एमएमबीटीयू से घटाकर 5 डॉलर प्रति इकाई पर लाने में मदद मिली। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यह जानकारी दी। पिछले साल दिसंबर में सरकार कतर को गैस के दाम में आधे की कटौती के लिए सहमत करने में कामयाब रहा था। इससे देश को अरबों डॉलर की बचत हुई है और गैस कम उठाने पर 12,000 करोड़ रुपए की देनदारी की भी छूट मिली है। दुनिया में गैस के दाम बढ़ने के बीच भी भारत को निचली दर पर इसकी आपूर्ति हुई। फिलहाल भारत को कतर की रासगैस से 75 लाख टन सालाना गैस की आपूर्ति 5 डॉलर प्रति इकाई के कम मूल्य पर हो रही है।
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