नई दिल्ली। जुलाई के महीने में भारत का कच्चे तेल का आयात पिछले 10 साल से अधिक समय के निचले स्तर पर पहुंच गया है। सरकार के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक जुलाई के महीने में कच्चे तेल का आयात पिछले साल के मुकाबले 36.4 फीसदी से ज्यादा गिरावट के साथ 1.2 करोड़ टन यानि 29.2 लाख बैरल प्रति दिन के स्तर पर पहुंच गया है। रॉयटर्स में छपी खबर के मुताबिक ये स्तर मार्च 2010 के बाद का सबसे निचला स्तर है।
रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस की वजह से लगाए गए नए प्रतिबंध से मांग में गिरावट और मेंटीनेंस के लिए रिफायनरी के बंद रहने से आयात पर असर पड़ा है। जुलाई के साथ ही ये लगातार चौथा महीना रहा है जब आयात में गिरावट देखने को मिली है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक देश है, हालांकि मार्च के बाद से जारी लॉकडाउन की वजह से मांग में गिरावट देखने को मिल रही है, जिसका सीधा असर कच्चे तेल का आयात पर पड़ा है। हाल में जारी हुए आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में ईंधन की खपत पिछले साल के मुकाबले 11.7 फीसदी कम रही है। वहीं जून के मुकाबले इसमें 3.5 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। इस दौरान डीजल की खपत पिछले साल के मुकाबले 19 फीसदी से ज्यादा घटी है। पेट्रोल की मांग में जुलाई के दौरान 10 फीसदी की गिरावट रही।
वहीं रिपोर्ट के मुताबिक ऱिफाइन किए गए फ्यूल ऑयल के आयात में जुलाई के दौरान रिकॉर्ड बढ़त देखने को मिली है। दूसरी तरफ रिफाइंड प्रोडक्ट का निर्यात 22.7 फीसदी की गिरावट के साथ अप्रैल 2018 के बाद से निचले स्तर पर पहुंच गया है। भारत रिफाइंड फ्यूल का आयात और निर्यात दोनो ही करता है।