नई दिल्ली। बिजली संकट से जूझते भारत का लक्ष्य 2022 तक 40,000 मेगावाट रूफटॉप सोलर पावर क्षमता का निर्माण कर बिजली की कमी को दूर करना है। सरकार चाहती है देशवासी सोलर एनर्जी के महत्व को समझें और इसे ज्यादा से ज्यादा अपनाएं। इसलिए सरकार अपने इस महत्वाकांक्षी सोलर एनर्जी प्रोग्राम के प्रचार-प्रसार के लिए धर्म गुरुओं और बाबाओं को अपना ब्रांड अंबेस्डर बनाने की योजना पर काम कर रही है। ये बाबा सौर ऊर्जा के प्रकाश को अपने अनुयायियों के बीच फैलाएंगे और इससे सरकार को अपने लक्ष्य तक पहुंचने में बड़ी मदद मिलेगी।
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नरेंद्र मोदी सरकार ने धार्मिक गुरुओं से कहा है कि वे अपने-अपने आश्रम में सोलर पावर यूनिट लगाएं और अपने हजारों भक्तों और अनुयायियों के बीच इस ऊर्जा के स्रोत के उपयोग को प्रोत्साहित करें। भारत के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा सचिव उपेंद्र त्रिपाठी बताते हैं कि आध्यात्मिक और धार्मिक गुरुओं के हजारों व लाखों घरेलू तथा विदेशी अनुयायी हैं, जो उनके आश्रम में बड़ी संख्या में आते हैं। इसलिए हमारा मानना है कि वैश्विक स्तर पर सोलर एनर्जी के मूल्यों और गुणों को बताने के लिए यह धार्मिक गुरु एक आदर्श माध्यम हो सकते हैं।
वर्तमान में, अमृतसर में राधा स्वामी डेश्रा आश्रम दुनिया का सबसे बड़ा सिंगल रूफटॉप सोलर पावर प्लांट स्थापित कर रहा है। यह प्लांट 80 एकड़ क्षेत्र में फैला है और यहां से 19 मेगावाट बिजली पैदा हो सकती है। एक अन्य आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रवि शंकर भी पिछले कुछ सालों से अलग-अलग गांवों में सोरल पावर युनिट की स्थापना कर रहे हैं।
सरकार अपने इस उद्देश्य के लिए देशभर के 100 ऐसे बड़े आश्रमों का डाटा बैंक बनाना चाहती है। त्रिपाठी कहते हैं कि यदि हमें प्रत्येक आश्रम से 1 मेगावाट सोलर क्षमता के निर्माण की प्रतिबद्धता भी मिलती है, तो यह दूसरों को प्रोत्साहित करने में हमारे लिए बहुत बड़ी मददगार होगी। इतना ही नहीं इन सोलर प्रोजेक्ट्स से आश्रमों के बिजली बिल में भी कमी आएगी और यह आश्रम अपनी अतिरिक्त बिजली की बिक्री ग्रिड को भी कर सकते हैं।
भारत की वर्तमान में रूफटॉप सोलर एनर्जी क्षमता केवल 740 मेगावाट है। मोदी सरकार देश के नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने पर पूरा ध्यान दे रही है, विशेषकर सोलर एनर्जी पर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के ऊर्जा संकट का सबसे अच्छा निराकरण सोलर एनर्जी को ही बताया है।
महत्वाकांक्षी है लक्ष्य
सरकार ने 2022 तक नवीकरणीय स्रोतों से 175 गीगावाट ऊर्जा पैदा करने का लक्ष्य रखा है। इसमें 100 गीगावाट सोलर से, 60 गीगावाट पवन से, 10 गीगावाट बायोमास से और 5 गीगावाट छोटे हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट्स से शामिल है। सरकार इस कदम के जरिये 2030 तक कार्बन उत्सर्जन को भी कम करना चाहती है।