नई दिल्ली। विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) की आड़ में कालेधन की हेराफेरी करना अब मुश्किल होगा। भारत और सिंगापुर दोनों ने वर्षों पुरानी टैक्स संधि में संशोधन करने के समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। भारत ने सिंगापुर के साथ दोहरे कराधन से बचाव की संधि (डीटीएए) में संशोधन के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इस समझौते के बाद सिंगापुर से आने वाले निवेश पर अगले साल अप्रैल से पूंजी लाभ पर टैक्स लगेगा।
- इससे पहले भारत ने मई में पुरानी कर संधियों में संशोधन के लिए ऐसा ही समझौता मॉरीशस और साइप्रस के साथ भी किया है।
- मॉरीशय तथा सिंगापुर भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के शीर्ष स्रोतों में शामिल हैं।
- देश के प्रतिभूति बाजारों में कुल प्रवाह का बड़ा हिस्सा भी इन्हीं देशों में पंजीकृत कंपनियों के जरिए आता रहा है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि,
सिंगापुर के साथ किए गए संशोधित संधि के तहत एक अप्रैल 2017 से दो साल के लिए पूंजी लाभ टैक्स मौजूदा घरेलू दर का 50 प्रतिशत के हिसाब से लगाया जाएगा। पूर्ण दर एक अप्रैल 2019 से लागू होगी। इस साल 10 मई को हमने मॉरीशस के साथ डीटीएए में संशोधन किया था। उसके बाद हमने साइप्रस के साथ संशोधन किया और आज हमने सिंगापुर के साथ डीटीएए में संशोधन किया।
- जेटली ने कहा कि इसके साथ हमने सफलतापूर्वक इस रास्ते धन की हेराफेरी पर सफलतापूर्वक रोक लगाई है।
- वित्त वर्ष 2015-16 में कुल 29.4 अरब डॉलर के एफडीआई प्रवाह में मॉरीशस तथा सिंगापुर की हिस्सेदारी 17 अरब डॉलर रही।
- स्विट्जरलैंड 2019 से 2018 के बाद अपने बैंकों में खोले गए सभी खातों तथा निवेश के बारे में सूचना साझा करेगा।
- सीबीडीटी ने दो महीने पहले इस संबंध में स्विट्जरलैंड के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
- देश में अल्पकालीन पूंजी लाभ टैक्स की दर 15 प्रतिशत है, जबकि दीर्घकालीन पूंजी लाभ टैक्स शून्य है।
- संशोधित संधि के तहत एक अप्रैल 2017 से पहले किए गए निवेश को नए टैक्स प्रावधानों से छूट दी जाएगी।