नई दिल्ली। घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कंपनियों द्वारा तिमाही आय के आंकड़े जारी करने से पहले बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय कंपनियां इस साल जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 18-20 प्रतिशत आय वृद्धि दर्ज कर सकती हैं। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि शुद्ध आय में शानदार वृद्धि वॉल्यूम में बढ़त और कमोडिटी की कीमतों में बढ़ोतरी, दोनों से प्रेरित होगी। एजेंसी ने कहा कि हालांकि बढ़ती लागत पिछली तिमाही की तुलना में कंपनियों के लिए ऑपरेटिंग मार्जिन पर असर डाल सकती है। महामारी की शुरुआत के तुरंत बाद कंपनियों ने सतर्क रुख अपनाया था और वेतन कटौती सहित कई लागत नियंत्रण उपायों का सहारा लिया, जिसके परिणामस्वरूप मांग बेहद कम होने के बावजूद व्यवसायों को बड़े पैमाने पर संरक्षित किया जा सका।
क्रिसिल ने कहा कि दूसरी तिमाही के दौरान सभी क्षेत्रों में सुधार देखा गया। इसके आगे वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी तिमाही के दौरान 8-10 प्रतिशत आय वृद्धि होने की संभावना है। वित्त वर्ष 2021-2022 की पहली छमाही के लिए, कुल आय 15.8 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है, जो वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही से 30-32 प्रतिशत अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया कि समीक्षाधीन तिमाही में आईटी और आईटीईएस कंपनियों की आय वृद्धि दोहरे अंकों में होगी, जबकि चिप की कमी की वजह से ऑटो उद्योग की आय वृद्धि 4-6 प्रतिशत तक सीमित हो सकती है।
वहीं सुधार के संकेतों को देखते हुए उद्योग संगठन फिक्की ने भी अर्थव्यवस्था को लेकर सकारात्मक संकेत दिये हैं। फिक्की ने बृहस्पतिवार को कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 9.1 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। फिक्की ने कहा कि महामारी की दूसरी लहर के बाद अब आर्थिक सुधार अपनी पकड़ मजबूत करता दिखाई दे रहा है। फिक्की के आर्थिक परिदृश्य सर्वेक्षण में यह भी कहा कि मौजूदा त्योहारी सत्र में रफ्तार को समर्थन मिलेगा। उद्योग संघ ने हालांकि आगाह किया कि दिवाली के दौरान लोगों की आवाजाही बढ़ने के चलते कोविड मामलों में वृद्धि हो सकती है। उद्योग मंडल ने कहा, ‘‘फिक्की के आर्थिक परिदृश्य सर्वेक्षण के ताजा दौर में 2021-22 के लिए 9.1 प्रतिशत की वार्षिक औसत जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया है। पिछले सर्वेक्षण (जुलाई 2021) में नौ प्रतिशत वृद्धि का अनुमान जताया गया था।’’
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