नई दिल्ली। इक्विटी बाजारों में नरमी के कारण भारतीय कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष के दौरान नॉन-कन्वर्टीबल डिबेंचर्स (NCD) जारी कर बाजार से 58,000 करोड़ से अधिक की राशि जुटाई है। यह राशि पिछले पूरे वित्त वर्ष में जुटाई गई कुल राशि 9,713 करोड़ रुपए से बहुत ज्यादा है। अधिकांश राशि विस्तार, कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करने तथा अन्य सामान्य जरूरतों के लिए जुटाई गई है।
एनसीडी लोन-लिंक्ड बांड्स होते हैं, जिन्हें स्टॉक में बदला नहीं जा सकता और इन पर कन्वर्टीबल डिबेंचर्स की तुलना में अधिक ब्याज मिलता है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़ों के अनुसार कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष में 14 मार्च तक एसीडी के जरिये 58,533 करोड़ रुपए जुटाए हैं। इस दौरान कुल मिलाकर एनसीडी माध्यम से 20 निर्गम आए, जबकि वित्त वर्ष 2014-15 में कुल 25 एनसीडी निर्गम आए थे। कुछ कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष में दो बार एनसीडी का रास्ता अपनाया।
विशेषज्ञों के मुताबिक बाजार में उतार-चढ़ाव के चलते अनेक कंपनियों ने ताजा पूंजी जुटाने के लिए एनसीडी का तरीका अपनाया। बीएसई का बेंचमार्क सेंसेक्स मौजूदा वित्त वर्ष में अब तक 9.37 फीसदी टूट चुका है। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने 14,396 करोड़ रुपए जुटाए हैं। इसके अलावा नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने पहली किस्त में 10,000 करोड़ और दूसरी किस्त में 9,152 करोड़ रुपए जुटाए। इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन ने 500 करोड़ रुपए के लक्ष्य की तुलना में 9,832 करोड़ रुपए और आवास एवं शहरी विकास निगम (हुडको) ने 8,232 करोड़ रुपए जुटाए। इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी, एनटीपीसी, ग्रामीण विद्युतिकरण निगम, पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन, मुत्थूट कॉरपोरेशन, मुत्थूट फाइनेंस, श्रेई इक्विपमेंट फाइनेंस, श्रेई इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस, मुत्थूट मिनि फाइनेंशियर्स, मुत्थूट फिनकॉर्प और कोसामट्टम फाइनेंस ने भी एनसीडी के जरिये पूंजी जुटाई।