नई दिल्ली। भारत को विश्व व्यापार संगठन (WTO) में नये वर्ष में उसकी मांग पर कुछ ठोस पहल होने की उम्मीद है। भारत को उम्मीद है कि 2017 में WTO सेवा क्षेत्र में व्यापार नियमों को सरल बनाने और दोहा दौर की बातचीत को उसके अंजाम तक पहुंचाने की दिशा में कुछ ठोस पहल करेगा।
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वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा
मुझे उम्मीद है कि (2017 में) WTO में गतिविधियां बेहतर होंगी क्योंकि अगले साल के अंत में अर्जेंटीना में मंत्रिस्तरीय बैठक होगी। और तब तक उम्मीद है कि WTO भारत जैसे देशों की मांग के बारे में कुछ रचनात्मक और ठोस काम करेगा।
WTO से ये हैं भारत की अपेक्षाएं
भारत ने इस बहुपक्षीय संगठन के समक्ष खाद्य सुरक्षा का स्थायी समाधान निकालने सहित एग्री कमोडिटीज का आयात बढ़ने की स्थिति में किसानों को उचित सुरक्षा के प्रावधान किए जाने और सेवा क्षेत्र में व्यापार नियमों को सरल बनाये जाने की मांग रखी है। भारत ने सेवाओं के क्षेत्र में व्यापार सरलीकरण समझौता (TFA) के बारे में अवधारणा पत्र भी जारी किया है। भारत चाहता है कि WTO के सदस्य देश वस्तुओं के व्यापार सरलीकरण समझौते की ही तरह के प्रस्ताव पर सहमति जताएं। इस समझौते पर 2014 में हस्ताक्षर किए गए थे। भारत की इस मांग के पीछे सेवाओं के व्यापार में अनावश्यक नियामकीय और प्रशासनिक बोझ को समाप्त कर लेन-देन की लागत को कम करना है।
नए साल में भारत सेवा व्यापार क्षेत्र में करेगा विस्तार
भारत की अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र का 60 प्रतिशत और कुल रोजगार में 28 प्रतिशत योगदान है। ऐसे में नयी दिल्ली चाहता है कि WTO विश्व व्यापार में सेवाओं के क्षेत्र में ऐसा समझौता करे जिससे पारदर्शिता बढ़े, प्रक्रियाओं का सरलीकरण हो और अवरोधों को दूर किया जा सके। व्यापार विशेषज्ञों को भी उम्मीद है कि वर्ष 2017 में भारत सेवा व्यापार के क्षेत्र में सक्रिय होकर काम करेगा।
जवाहर लाल नहेरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विश्वजीत धर ने कहा
अवधारणा पत्र के जरिए भारत संभवत: सेवाओं में व्यापार पर बहुपक्षीय बातचीत को फिर से पटरी पर लाने का प्रयास करेगा।
भारत का जोर सेवा क्षेत्र पर और अन्य देशों का दूसरे मुद्दों पर
धर ने कहा, WTO में सेवा क्षेत्र पर बातचीत की मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुये यह देखना काफी रुचिकर होगा कि क्या भारत के अवधारणा पत्र से इस व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे देशों में कोई उत्सुकता पैदा होती है कि नहीं। इसमें बड़ा मुद्दा यही है कि क्या भारत सेवाओं के क्षेत्र में बहुपक्षीय बातचीत को लेकर जरूरी गहमागहमी पैदा करने में कामयाब रहता है। इसके विपरीत अमेरिका सहित अन्य विकसित देश नये मुद्दों पर बातचीत शुरू कराना चाहेंगे। विकसित देश ई-कॉमर्स, निवेश और सरकारी खरीदारी जैसे नए मुद्दों को आगे बढ़ाना चाहेंगे।
विकासशील देशों में किसानों की सुरक्षा स्तर को लेकर है मतभेद
WTO की दोहा दौर की बातचीत 2001 में शुरू हुई थी और विकसित और विकासशील देशों के बीच मतभेद बढ़ने की वजह से जुलाई 2008 से यह रुकी पड़ी है। यह मतभेद विकासशील देशों में किसानों को दी जाने वाली सुरक्षा के स्तर को लेकर हैं। वर्ष 2016 के दौरान WTO के विवाद निपटान निकाय को लेकर भी गतिविधियों काफी तेज रहीं। भारत ने अमेरिका के खिलाफ इस निकाय में दो मामले दर्ज किए हैं। अमेरिका के अस्थाई कार्य वीजा के मुद्दे पर और अक्षय उर्जा क्षेत्र को लेकर यह मामले दर्ज किए गए।
जनवरी में दावोस में जुटेंगे WTO के प्रमुख सदस्य
WTO के प्रमुख सदस्य जनवरी में दावोस में जुटेंगे और अगली मंत्रिस्तरीय बैठक का एजेंडा तय करेंगे। WTO की अगली मंत्रिस्तरीय बैठक दिसंबर 2017 में अर्जेंटीना में होनी है। इसमें अन्य बातों के अलावा वस्तु व्यापार सुगमता :टीएफए: का समझौता 2017 में अमल में आ सकता है। WTO सदस्य देशों में से दो-तिहाई देशों द्वारा इसकी पुष्टि किए जाने के बाद यह समझौता अमल में आ जायेगा।
इस समझौते में विभिन्न देशों में बंदरगाहों और कस्टम केन्द्रों पर माल को जल्द आगे बढ़ाने और उसके आवागमन को सुगम बनाने के प्रावधान किए गए हैं। WTO के 164 सदस्यों में से भारत सहित 103 देशों ने इस समझौते की पुष्टि कर दी है।