नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि 10 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर हासिल करना चुनौतीपूर्ण है और यह इस पर निर्भर है कि दुनिया कैसे आगे बढ़ रही है। यहां एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि भारत ने पिछले तीन साल के दौरान 7-8 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल कर अच्छा प्रदर्शन किया है।
उन्होंने कहा कि इसे 10 प्रतिशत तक पहुंचाना बड़ी चुनौती है। यह सिर्फ घरेलू कारकों पर निर्भर नहीं है, बल्कि इस बात पर निर्भर है कि दुनिया कैसे आगे बढ़ रही है। सुधारों के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि भारत ने संरचनात्मक सुधार किए हैं और इनकी कोई अंतिम लाइन नहीं है। उन्होंने कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की शुरुआत भिन्न दरों के साथ हुई और अब कई उत्पादों पर दरों को तर्कसंगत किया गया है।
जेटली ने कहा कि भविष्य में दरों को और तर्कसंगत किया जाना राजस्व संग्रहण पर निर्भर करेगा। उन्होंने 12 और 18 प्रतिशत की दरों को एक में मिलाने और विलासिता की तथा अहितकर वस्तुओं को एक पतली रेखा के साथ 28 प्रतिशत के शीर्ष स्लैब में रखने का संकेत दिया। वित्त मंत्री ने कहा कि एक ठोस जीएसटी व्यवस्था स्थापित की गई है और दुनिया में किसी भी देश में पांच प्रतिशत की कर दर नहीं है।
भारत में 7 से 8 प्रतिशत वृद्धि का मानक स्थापित
वित्त मंत्री ने कहा कि वृहद आर्थिक बुनियादी कारकों में सुधार के बल पर भारत ने खुद के लिए मोटे तौर पर 7-8 प्रतिशत वृद्धि का मानक स्थापित कर लिया है। यदि इसमें सुस्ती आती है तो यह 7 प्रतिशत के आसपास रहती है और यदि इसकी रफ्तार बढ़ती है तो यह 8 प्रतिशत के आसपास तक पहुंच जाती है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लिहाज से यह 2,500 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के करीब है।
उन्होंने कहा कि भारत दो अंकीय मुद्रास्फीति के पुराने दौर से आगे निकल चुका है। जेटली ने कहा कि हमने सांविधिक रूप से चार प्रतिशत का लक्ष्य तय किया है। हमने अपने चालू खाते के घाटे को नियंत्रण में रखा है। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने राजकोषीय घाटे को नीचे लाने की दृष्टि से बेहतरीन प्रदर्शन किया है।
जेटली ने कहा कि इन सब चीजों से भारत एक ऐसी स्थिति के नजदीक पहुंच रहा है जहां देश जो कमाता है उसे खर्च कर सकता है और कुछ हद तक कर्ज कम लेने की जरूरत पड़ती है। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत में एक बड़ी चुनौती जो अभी कायम है और उसकी वजह से हमें विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा बनाने में मुश्किलें आ रही है, और वह यह है कि हमारा समाज मोटे तौर पर कर अनुपालन नहीं करने वाला समाज है।