नई दिल्ली। भारत जलवायु परिवर्तन करने वाला नहीं है, बल्कि वह खुद इससे प्रभावित है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने बुधवार को जलवायु परिवर्तन पर सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कुछ देशों द्वारा पेरिस करार से हटने पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि खेद की बात यह है कि एक तरफ भारत पेरिस जलवायु करार के मुताबिक काम कर रहा है, वहीं कुछ देश ऐसे हैं जो इस समझौते से हट रहे हैं।
प्रभु का यह बयान ऐसे समय आया है जबकि इस समझौते में अमेरिकी भूमिका को लेकर अनिश्चितता दिख रही है। जून में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि उनका देश पेरिस करार से बाहर निकल रहा है। ट्रंप ने दलील थी कि यह समझौता भारत और चीन जैसे देशों को अनुचित लाभ प्रदान करता है।
दुनिया के तीसरे सबसे बड़े कॉर्बन उत्सर्जक भारत तथा दुनिया के 190 से अधिक देश दिसंबर, 2015 में इस करार पर सहमत हुए थे। इसका मकसद वैश्विक औसत तापमान में बढ़ोतरी को सीमित करना और तापमान वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना है। इस करार ने 1997 की क्योटो संधि की जगह ली है। इसे अक्टूबर, 2016 में अनुमोदित किया गया।
प्रभु ने कहा कि,
दुर्भाग्य की बात है कि हमारे बीच अच्छा करार हुआ है, लेकिन मैं कहूंगा कि यह सर्वश्रेष्ठ नहीं है। अब कुछ देश पेरिस करार को लेकर ही सवाल उठा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इसके बावजूद जबकि हमने इस दिशा में कदम उठाया है, कुछ देश इससे हट रहे हैं जो इसकी सबसे खराब बात है। उन्होंने कहा कि भारत ने जलवायु परिवर्तन नहीं किया है, बल्कि वह इसका शिकार है।
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