नई दिल्ली। नोटबंदी का असर लघु अवधि के लिए होगा और भारत की वृद्धि दर अगले साल अप्रैल से पटरी पर लौट जाएगी। मॉर्गन स्टेनले की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी के अनुसार नोटबंदी कार्यक्रम से लघु अवधि में अड़चन है तथा इससे दिसंबर और मार्च में समाप्त तिमाहियों में जीडीपी की वृद्धि दर में 0.5 से 0.75 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के लिए वृहद वृद्धि परिदृश्य में हालांकि बदलाव नहीं हुआ है।
- मॉर्गन स्टेनले ने एक शोध नोट में कहा कि हम भारत के लिए रचनात्मक परिदृश्य पर कायम हैं।
- नवंबर, 2016 से मार्च, 2017 तक कुछ सुस्ती के बाद हमें उम्मीद है कि 2017 की दूसरी तिमाही से वृद्धि अपनी राह पर लौटेगी।
- रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि जून, 2017 में समाप्त होने वाली तिमाही से मांग एवं उपभोग में सुधार आना शुरू होगा।
- जीडीपी में उपभोक्ता खपत का हिस्सा 60 प्रतिशत है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक वृद्धि दर 2016 के तीन प्रतिशत से बढ़कर 2017 में 3.4 प्रतिशत हो जाएगी।