नयी दिल्ली। सुनने में यह थोड़ा अटपटा जरूर लगेगा, लेकिन यदि विश्व बैंक के आंकड़ों पर भरोसा करें तो भारत को पिछले तीन साल में पाकिस्तान से करीब 14.36 अरब डॉलर का मनीआर्डर (रेमिटेंस) मिला है। दिलचस्प यह है कि विश्व बैंक ने स्वयं कहा है कि यह वास्तविक आधिकारिक आंकड़ा नहीं है सिर्फ अनुमान पर आधारित है। विश्व बैंक की माइग्रेंट्स एवं रेमिटेंस फैक्टबुक 2016 के मुताबिक, भारत 2015 में सबसे अधिक मनीआर्डर प्राप्त करने वाला देश रहा। 2015 में भारत में 72 अरब डालर का रेमिटेंस आने का अनुमान है। जिसके बाद चीन (64 अरब डालर) और फिलीपीन्स (30 अरब डालर) का स्थान रहा।
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प्रतिबंध के बावजूद आए रिकॉर्ड मनीऑर्डर
विश्व बैंक ने कहा कि पाकिस्तान में रहने वालों लोगों ने 2015 में भारत को 4.9 अरब डालर भेजे। द्विपक्षीय मनीआर्डर परिस्थितियों के कारण 2014 में पाकिस्तान से भारत में 4.79 अरब डालर आए और 2013 में 4.67 अरब डालर की राशि आई। प्रत्यक्ष मनीआर्डर पर प्रतिबंध के मद्देनजर यह आंकड़ा काफी अधिक है और पाकिस्तान में ऐसे प्रवासी भारतीयों की संख्या बहुत अधिक नहीं है जो घर धन भेजें। विश्व बैंक के माइग्रेंट और रेमिटेंस विभाग के प्रबंधक दिलीप रथ ने कहा, पाकिस्तान से भारत को आने वाले मनीआर्डर का यह वास्तविक आधिकारिक आंकड़ा नहीं है। यह विश्व भर में द्विपक्षीय मनीआर्डर आकलन के विश्लेषण के आधार पर निकाला गया है। यह तार्किक आकलन के आधार पर अनुमान भर है।
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भारत में यूएई से आए सबसे ज्यादा मनीऑर्डर
विश्व बैंक के मुताबिक भारत में 2015 में सबसे अधिक संयुक्त अरब अमीरात से मनीआर्डर (13.2 अरब डालर) आया। इस लिहाज से अमेरिका दूसरे स्थान पर रहा जहां 11.5 अरब डालर का मनीआर्डर आया जबकि सउदी अरब 11 अरब डालर के साथ तीसरे नंबर पर रहा। पाकिस्तान 4.9 अरब डालर के मनीआर्डर के साथ चौथे स्थान पर रहा और वैश्विक स्तर पर दो देशों के बीच सर्वाधिक मनीआर्डर के लिहाज से 14वें स्थान पर रहा। रथ ने कहा, वैश्विक स्तर पर द्विपक्षीय मनीआर्डर के प्रवाह को सुधारने के लिए विशेष तौर पर द्विपक्षीय मनीआर्डर बढ़ाने की आवश्यकता है।