नई दिल्ली। मोदी सरकार प्रमुख शहरों में कारों की संख्या कम करने और बढ़ते ट्रैफिक जाम को रोकने के लिए प्राइवेट व्हीकल को राइडशेयरिंग की मंजूरी देने की योजना का परीक्षण कर रही है। रॉयटर्स ने यह खबर सूत्रों के हवाले से दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाले थिंक टैंक ने प्राइवेट कार को टैक्सी के रूप में उपयोग करने के इकोनॉमिक और पर्यावरण प्रभाव को आंकने के लिए राइड शेयरिंग कंपनी उबर टेक्नोलॉजीस के साथ भागीदारी की है। प्राइवेट कार का टैक्सी के रूप में उपयोग करने वाली खबर उबर और ओला जैसी कंपनियों के लिए अच्छी खबर हो सकती है, लेकिन वहीं टैक्सी ऑपरेटर्स के लिए यह टेंशन वाली खबर है। टैक्सी ऑपरेटर्स कॉमर्शियल लाइसेंस के लिए बहुत अधिक शुल्क चुकाते हैं और उन्हें कई कठोर व्हीकल टेस्टिंग से भी गुजरना पड़ता है।
एक अधिकारी ने कहा कि सरकार प्राइवेट कारों की संख्या कम करना चाहती है। उन्होंने बताया कि तीन महीने के इस अध्ययन में सुरक्षा, नियामकीय, टैक्स और इंश्योरेंस निहित होंगे। इस मामले से जुड़े एक अन्य अधिकारी ने बताया कि अभी अध्ययन अपने शुरुआती चरण में है और इसका व्यापक विचार राइड शेयरिंग के लिए एक स्पष्ट और उचित विनियामक ढांचा तैयार करना है ताकि कंपनियां बिना किसी अस्पष्टता के भारत में संचालन कर सकें।
हालांकि उबर को ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर जैसे देशों में प्राइवेट कार को राइड शेयरिंग के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति मिली हुई है। नॉर्थ अमेरिका में इसके लिए उसे टैक्सी ऑपरेटर्स के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। उबर के एक प्रवक्ता ने कहा कि प्राइवेट व्हीकल की शेयरिंग से सड़कों पर भीड़भाड़ कम होगी और इससे कार का बेहतर उपयोग सुनिश्चित होगा।
कार बिक्री पर पड़ेगा असर
सरकार के इस कदम से भारत में कार बिक्री पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है, जहां कार ओनरशिप अनुपात अन्य देशों की तुलना में पहले से ही कम है। भारत में प्रति 1000 लोगों पर 20 कार का अनुपात है, जो बहुत कम है। मारुति सुजुकी, हुंडई और टाटा मोटर्स आदि देश में सबसे ज्यादा कार बेचने वाली कंपनियां हैं, जिनका अनुमान है कि 2020 तक भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कार बाजार होगा।