नई दिल्ली। देश का कोयला उत्पादन चालू वित्त् वर्ष 2020-21 में रिकॉर्ड 70 करोड़ टन रहेगा। कोयला सचिव अनिल जैन ने रविवार को ये अनुमान दिया है। उन्होने कहा कि इससे देश को कोयले के आयात में कमी लाने में मदद मिलेगी। बीते वित्त वर्ष 2019-20 में देश में 60.21 करोड़ टन कोयले का उत्पादन हुआ, जो इससे पिछले वित्त वर्ष 2018-19 के 60.6 करोड़ टन के उत्पादन से कुछ कम है।
सचिव ने पीटीआई-भाषा से साक्षात्कार में कहा कि भारत सालाना 23.5 करोड़ टन कोयले का आयात करता है। इसमें से आधे का आयात रोका नहीं जा सकता, क्योंकि बिजली संयंत्रों और कारखानों ने उसके लिए पहले से अनुबंध किया हुआ है। लेकिन हम शेष आयात में कटौती कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि उत्पादन बढ़ने पर हम उल्लेखनीय मात्रा में ऐसे कोयले का आयात रोक सकते हैं जिसके लिए अनुबंध नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 तक देश की अर्थव्यवस्था को 5,000 अरब डॉलर पर पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है। अभी अर्थव्यवस्था का आकार 2,900 अरब डॉलर है। इस लक्ष्य को पाने के लिए ऊर्जा के आयात में कमी और घरेलू संसाधनों के दोहन पर जोर दिया जा रहा है। कोयले के आयात में कमी करने के लिए कोल इंडिया ने वित्त वर्ष 2023-24 तक एक अरब टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य रखा है। जैन ने कहा कि बीते वित्त वर्ष में कोयला उत्पादन 66 करोड़ टन के लक्ष्य से कम रहा है। इसकी वजह प्रमुख कोयला खदान में पानी भरना है।
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन बिजली संयंत्रों के पास 30 दिन का कोयला भंडार है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की वजह से कारखाने और कार्यालय बंद हैं जिससे बिजली की मांग करीब 25 प्रतिशत घट गई है। इससे कोयले की मांग कम हुई है और इसका भंडार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। कोल इंडिया के पास अपनी खानों में रिकॉर्ड 7.5 करोड़ टन का भंडार है। वहीं बिजली स्टेशनों के पास 4.47 करोड़ टन का भंडार है। यह 2008 से भंडार का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। उन्होंने कहा यह सामूहिक भंडार कोल इंडिया के बीते वित्त वर्ष के दो माह के औसत उत्पादन से अधिक है।