संयुक्तराष्ट्र। संयुक्तराष्ट्र द्वारा तैयार एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि विकासशील देशों में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश के मामले में भारत और चीन 2015 में सबसे आगे रहे। पिछले साल सौर, पवन और ऊर्जा के अन्य अक्षय स्रोतों में निवेश की प्रतिबद्धता के मामले में उभरते देशों ने धनी देशों को पहली बार पीछे छोड़ दिया है।
ग्लोबल ट्रेंड इन रिन्यूएबल एनर्जी इन्वेस्टमेंट (नवीकरणीय ऊर्जा निवेश में वैश्विक रुझान) 2016 शीर्षक वाली यह रिपोर्ट संयुक्तराष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने तैयार कराई है। इसमें कहा गया है कि भारत, चीन और ब्राजील समेत विकासशील देशों ने पिछले वर्ष नवीकरणीय ऊर्जा की नई क्षमता खड़ी करने के लिए 156 अरब डॉलर की प्रतिबद्धता जताई। यह वर्ष 2014 के मुकाबले 19 फीसदी अधिक है। इसके विपरीत विकसित देशों में इस क्षेत्र में निवेश वर्ष 2015 में घट कर 130 अरब डॉलर रहा। रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल पहली बार विकासशील देशों ने अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश के मामले में विकसित देशों को पीछे कर दिया।
रिपोर्ट के अनुसार इसमें सबसे बड़ा योगदान चीन का रहा, जिसने वर्ष के दौरान 102.9 अरब डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई, जो पिछले साल से 17 फीसदी अधिक है। चीन ने इस तरह अकेले ही पूरी दुनिया में की गई निवेश की प्रतिबद्धता में एक तिहाई से अधिक का योगदान किया। वर्ष के दौरान भारत भी इस क्षेत्र में निवेश करने वाले 10 शीर्ष देशों में रहा। वर्ष के दौरान भारत ने 10.2 अरब डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई, जो एक साल पहले से 22 फीसदी अधिक है। पिछले वर्ष इस तरह के निवेश के मामले में सबसे ऊपर रहे दस देशों में अमेरिका, जापान, ब्रिटेन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, मैक्सिको और चिली भी शामिल हैं। संयुक्तराष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह निवेश भारत की भाजपा सरकार की अक्षय ऊर्जा अनुकूल नीतियों के बाद हुआ है। इस नीति में 2022 तक पवन बिजली उत्पादन क्षमता को 2022 तक करीब करीब तीन गुना कर 60,000 मेगावाट करने का लक्ष्य है। विकासशील देशों में तीन बड़े देशों-चीन, भारत और ब्राजील- का निवेश 16 फीसदी बढ़ कर 120.2 अरब डॉलर रहा। अन्य विकासशील देशों ने इस क्षेत्र में 36.1 अरब डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई जो एक साल पहले की तुलना में 30 फीसदी अधिक है।