बेंगलुरू। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा start-ups हब बन गया है। आईटी उद्योगों के संगठन नैसकॉम ने मंगलवार को कहा कि ग्लोबल स्टार्टअप ईकोसिस्टम में भारत को तीसरे स्थान पर रखा गया है। भारत से ज्यादा अमेरिका और ब्रिटेन में स्टार्ट-अप हैं। नैसकॉम की रिपोर्ट के मुताबिक 2015 के दौरान स्टार्ट-अप में निवेश 125 फीसदी बढ़कर 4.9 अरब डॉलर रहने का अनुमान है। पिछले साल 2.2 अरब डॉलर का निवेश स्टार्ट-अप में हुआ था।
हर रोज 3-4 स्टार्ट-अप हो रहे शुरू
नैसकॉम के प्रेसीडेंट आर चंद्रशेखर ने बताया कि साल के अंत तक 40 फीसदी की ग्रोथ से देश में स्टार्ट-अप की संख्या 4200 के पार पहुंच सकती है। नैसकॉम और कंस्लटिंग फर्म जिन्नोव के साझा रिपोर्ट के मुताबिक हर रोज तीन से चार स्टार्ट-अप देश में शुरू हो रहे हैं। 2010 से 2014 के दौरान सिर्फ 3.2 अरब डॉलर का निवेश हुआ था। चंद्रशेखर ने कहा कि हमने हाल ही में इजरायल को पीछे छोड़ा है, यदि सब कुछ ठीकठाक रहा तो अगले साल हम दूसरे स्थान पर होंगे।
युवा स्टार्ट-अप के मामले में भारत आगे
नैसकॉम प्रोडक्ट काउंसिल के चेयरमैन रवि गुरुराज के मुताबिक कम उम्र में स्टार्ट-अप शुरू करने के मामले में भारत दुनिया में सबसे आगे है। भारत में 72 फीसदी स्टार्ट-अप शुरू करने वालों की उम्र 35 साल से कम है। वहीं 2014 के मुकाबले इस साल देश में महिला उद्यमियों की संख्या में 50 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। देश में 9 फीसदी स्टार्ट-अप की महिला फाउंडर और को-फाउंडर हैं।
तीन शहरों में 93 फीसदी निवेश
दिल्ली-एनसीआर, बेंगलुरु और मुंबई के स्टार्ट-अप में कुल निवेश का 93 फीसदी निवेश हुआ है। इन्ही तीन शहरों में करीब 66 फीसदी स्टार्टअप हैं। हैदराबाद, चेन्नई, पुणे, जयपुर और अहमदाबाद आने वाले दिनो में स्टार्ट-अप की पसंदीदा जगह बन सकते हैं। अकेले 2015 में करीब 1200 नए स्टार्ट-अप की शुरुआत हुई है और इनमें से ज्यादातर B2C हैं। मुख्य रूप से ई-कॉमर्स, कंज्यूमर सर्विस और एग्रीगेटर्स के रूप में स्टार्ट-अप शुरू हुए हैं।
ग्लोबल इन्वेस्टर लगा रहे दांव
रिपोर्ट के अनुसार ग्लोबल इन्वेस्टर्स भारत पर बड़ा दांव लगा रहे हैं। टाइगर ग्लोबल, सिकोइया कैपिटल, सॉफ्टबैंक, वारबर्ग पिंक्स और अलीबाबा ने भारत में सबसे ज्यादा इनवेस्ट किया है। इन कंपनियों ने करीब 50 करोड़ डॉलर की डील की है। 2015 में वेंचर कैपिटल (वीसी) और प्राइवेट इक्विटी (पीई) 2.2 गुना बढ़ा है। इस साल 390 से ज्यादा स्टार्ट-अप को निवेशक मिलें है। जबकि पिछले साल 175 स्टार्टअप में ही फंडिंग हुई थी। पिछले साल के मुकाबले इनक्यूबेटर्स और एक्सेलेटर्स की संख्या में 40 फीसदी बढ़ोत्तरी हुई है।