मुंबई। भारत ने इस साल के पहले नौ महीनों में गोल्ड की खपत के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है। इस दौरान देश में गोल्ड की कुल खपत 642 टन रही, जबकि चीन में 579 टन गोल्ड की खपत हुई है। इस लिहाज से भारत में चीन के मुकाबले 63 टन गोल्ड की ज्यादा खपत हुई है। यह बात थॉमसन रॉयटर्स जीएफएमएस की तीसरी तिमाही के सर्वे में सामने आई है। सर्वे के मुताबिक गोल्ड में पिछले साल के मुकाबले रिटेल निवेशकों ने 30 फीसदी अधिक निवेश किया है।
ज्वैलरी की खपत 5 फीसदी बढ़ी
गोल्ड के सर्वे में कहा गया है कि भारत में ज्वैलरी की खपत सितंबर में समाप्त तिमाही के दौरान सालाना आधार पर 5 फीसदी बढ़कर अनुमानित 193 टन रही, जो मार्च 2011 में समाप्त तिमाही के बाद सबसे ज्यादा है। साथ ही 2008 के बाद तीसरी तिमाही में यह सर्वाधिक मांग है।
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कीमतों में आई गिरावट से बढ़ी मांग
सर्वे के मुताबिक ‘रिटेल निवेश सालाना आधार पर 30 फीसदी बढ़कर 55 टन रहा, जो वर्ष 2013 की चौथी तिमाही के बाद सबसे अधिक है। इस दौरान मांग गोल्ड की मांग बढ़ने की मुख्य वजह घरेलू कीमतों में गिरावट को बताया जा रहा है। घरेलू कीमतें अगस्त 2011 के बाद के सबसे निचले स्तर पर आ गई हैं। भारत में कीमतें गिरकर 25,000 रुपए प्रति 10 ग्राम तक आ गई थीं। जीएफएमएस ने कहा कि तिमाही के दौरान खपत में बढ़ोतरी की एक वजह यह भी थी कि पुरानी ज्वैलरी को नए में बदलवाने की दर में भारी गिरावट आई है। रिपोर्ट के अनुसार तीसरी तिमाही में सोने का इंपोर्ट 23 फीसदी बढ़कर 263 टन रहा।
इंपोर्ट को कम करने के लिए धनतेरस पहले लॉन्च होगी गोल्ड स्कीम
देश में सोने के इंपोर्ट को कम करने और घरों मंदिरों में पड़े सोने को बाजार में लाने के लिए सरकार की गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम को 9 नवंबर या उससे पहले लॉन्च कर सकती है। वहीं, इस स्कीम के तहत गोल्ड जमा करने वालों को कितना ब्याज मिलेगा। इसकी घोषणा अगले 10 दिनों में होने की संभावना है। सूत्रों के मुताबिक गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम पर 2 से 2.5 फीसदी ब्याज मिलने की उम्मीद है।
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देश में 22,000 टन का गोल्ड भंडार
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक, देश में करीब 22,000 टन गोल्ड का भंडार है। गोल्ड मोनेटाइजेशन से गोल्ड इम्पोर्ट में 10-20 फीसदी तक कमी आने की संभावना है। गोल्ड इंपोर्ट घटने पर करंट अकाउंट डेफिसिट (सीएडी) को काबू करने में भी मदद मिलेगी। देश में सालाना 900-1000 टन गोल्ड इंपोर्ट होता है।