नई दिल्ली। देशवासियों के लिए एक अच्छी खबर है। केंद्र सरकार ने बताया कि 608.99 अरब डॉलर के साथ भारत विश्व का 5वां सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार वाला देश बन गया है। 25 जून, 2021 तक के आंकड़ों के मुताबिक भारत चीन, जापान, स्विट्जरलैंड और रूस के बाद दुनिया का पांचवों सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार वाला देश बन गया है। सरकार ने यह भी बताया कि चालू खाते के घाटे की मात्रा शुद्ध पूंजी प्रवाह मात्रा से अधिक है।
वित्त वर्ष 2020-21 में भारत के भुगतान संतुलन की दृष्टि से चालू खाते और पूंजी खाते दोनों में सरप्लस दर्ज किया गया है।
जुलाई में मुद्रा भंडार हुआ 611 अरब डॉलर
देश का विदेशी मुद्रा भंडार नौ जुलाई को समाप्त सप्ताह में 1.883 अरब डॉलर बढ़कर रिकॉर्ड 611.895 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इससे पहले, दो जुलाई को समाप्त सप्ताह में मुद्रा भंडार 1.013 अरब डॉलर बढ़कर 610.012 अरब डॉलर पर पहुंचा था। इस अवधि में देश का स्वर्ण भंडार 58.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 36. 956 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
2020-21 में विदेशी मुद्रा भंडार 99.2 अरब डॉलर बढ़ा
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान मूल्यांकन प्रभाव सहित 99.2 अरब डॉलर की वृद्धि हुई। इससे पिछले वर्ष यह वृद्धि 64.9 अरब डॉलर थी। रिजर्वबैंक ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार पर मूल्यांकन लाभ, प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर के मूल्यह्रास और सोने की कीमतों में वृद्धि का प्रभाव होता है।
मूल्यांकन लाभ वर्ष 2020-21 के दौरान 11.9 अरब डॉलर था, जो वर्ष 2019-20 के दौरान 5.4 अरब डॉलर था। वर्ष भुगतान संतुलन (मूल्यांकन प्रभावों को छोड़कर) के आधार पर, वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में 87.3 अरब डॉलर की वृद्धि हुई, जबकि वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 59.5 अरब डॉलर की वृद्धि हुई थी।
चालू खाता अधिशेष 23.9 अरब डॉलर
वित्त वर्ष 2020-21 में चालू खाता अधिशेष 23.9 अरब डॉलर था, जबकि वित्त वर्ष 2019-20 में 24.7 अरब डॉलर का घाटा हुआ था। आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2020-21 में पूंजी खाता 63.4 अरब डॉलर के बराबर था, जो पिछले वित्त वर्ष में 84.2 अरब डॉलर था। देश में विदेशी निवेश वित्त वर्ष 2020-21 में 80.1 अरब डॉलर था, जबकि वित्त वर्ष 2019-20 में यह 44.4 अरब डॉलर था।
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