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जापान को पछाड़ भारत बना दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल खपत करने वाला देश, 41 लाख बैरल रोजाना होता है कंज्यूम

भारत दुनिया का तीसरा बड़ा तेल खपत करने वाला देश बन गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार जापान को पछाड़ कर भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता देश बना है।

Shubham Shankdhar
Published on: June 08, 2016 22:31 IST
जापान को पछाड़ भारत बना दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल खपत करने वाला देश, 41 लाख बैरल रोजाना होता है कंज्यूम- India TV Paisa
जापान को पछाड़ भारत बना दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल खपत करने वाला देश, 41 लाख बैरल रोजाना होता है कंज्यूम

नई दिल्ली। भारत दुनिया का तीसरा बड़ा तेल खपत करने वाला देश बन गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार जापान को पछाड़ कर भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता देश बन चुका है। बीपी स्टेटिस्टिकल रिव्यू ऑफ वर्ल्ड एनर्जी के अनुसार भारत की तेल मांग 2015 में 8.1 फीसदी बढ़ी।

इसके अनुसार 41 लाख बैरल प्रतिदिन मांग के साथ भारत तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता देश बन गया है। साल 2015 में विश्व तेल खपत में भारत का हिस्सा 4.5 फीसदी रहा। तेल खपत के लिहाज से अमेरिका पहले जबकि चीन दूसरे स्थान पर है।

चीन को भी पिछे छोड़ सकता है भारत

चीन में सुस्ती और अपनी अर्थव्यवस्था की बढ़ती रफ्तार के कारण भारत दुनिया के लिए ऑयल डिमांड का सेंटर बनता जा रहा है। एक दशक पहले जैसे चीन अपनी ऊर्जा की जरूरत को पूरा करने के लिए हेज करता था, भारत भी उसी राह पर चल पड़ा है। इसी का नतीजा है कि भारत विदेशों और अपनी धरती पर उत्पादन बढ़ाने के लिए निवेश कर रहा है। एक्सपर्ट्स मानते है कि एक दशक पहले जब चीन तेजी से बढ़ रहा था उस वक्त के हालात से आज कहीं बेहतर माहौल है। ऐसे में भारत चीन को चुनौती दे सकता है। गौरतलब है कि चीन दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल खपत करने वाला देश है। वहीं, भारत चौथे पायदान पर है।

भारत बना 17 साल पुराना चीन

लंदन स्थित एनर्जी आस्पेक्ट्स के चीफ ऑयल एनालिस्ट अमृता सेन ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट के कारण सरकार स्ट्रक्चरल और पॉलिसी में बदलाव करने में सक्षम है। इन बदलावों के कारण भारत में ऑयल की डिमांड बढ़ेगी। 1990 के दशक में चीन में तेल की खपत उतनी थी जितनी आज भारत की है। 1999 में चीन की अर्थव्यवस्था अभी के 10 खरब डॉलर का दसवां हिस्सा थी और शंघाई जैसे प्रमुख शहरों की सड़कों पर साइकिल, टैक्सी और बसों की भीड़ रहती थी। इससे अगले 17 वर्षों में चीन की अर्थव्यवस्था 7वें पायदान से दूसरे स्थान पर पहुंच गई। वाहन बिक्री बढ़ी और तेल की मांग लगभग उसके बाद से तीन गुनाअधिक हो गई। भारत भी उसी राह पर है।

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