चंद्रपुर (महाराष्ट्र)। इस बार रक्षा बंधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कलाई पर विशेषरूप से बांस से बनी राखी को बंधा देखा जा सकता है। प्रधानमंत्री मोदी के आत्म निर्भर भारत अभियान के तहत लोकल के लिए वोकल बनने की दिशा में पहले ही कदम आगे बढ़ा चुकी महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले की ग्रामीण महिला ने देशभर में बांस से बनी ईकोफ्रेंडली राखियों को लोकप्रिय बनाने का जिम्मा उठाया है। इसमें उन्हें सफलता भी मिल रही है।
महाराष्ट्र के विदर्भ प्रांत के आदिवासी बहुल और पिछड़े क्षेत्र चंद्रपुर की मीनाक्षी मुकेश वालके ने हैंडमेड इन इंडिया की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए रक्षा बंधन और स्वतंत्रता दिवस के लिए बांस से बनी डिजाइनर राखियां और तिरंगा बैज तैयार किए हैं। बांस से बनी राखी और बैज इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट किए जाएंगे। मीनाक्षी ने बताया कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी स्वयं ये राखी और बैज लेकर प्रधानमंत्री मोदी के पास जाएंगे। पिछले साल महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी बांस से बनी राखी अपनी कलाई पर बांधी थी।
कोरोना वायरस महामारी को रोकने के लिए लागू किए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन में भारी नुकसान के बावजूद मिनाक्षी ने हार नहीं मानी और आत्म निर्भर भारत के अभियान को आगे बढ़ाने के लिए फिर एक नए उत्साह से काम में जुट गईं। अपनी कल्पना और सूझबूझ से इस बार उन्होंने बांस से तैयार की जाने वाली राखियों और जेबों पर लगाए जाने वाले तिरंगा बैजों के अनूठे डिजाइन तैयार किए हैं। लॉकडाउन के दौरान उन्होंने आदिवासी व पिछड़े वर्ग की महिलाओं को रोजगार भी उपलब्ध कराया है।
मीनाक्षी द्वारा बनाई जाने वाली बांस की राखियां देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय हो रही हैं। दंगल फिल्म की अभिनेत्री मीनू प्रजापति तो मीनाक्षी द्वारा डिजाइन की गई ज्वेलरी की प्रशंसक हैं। प्लास्टिक मुक्त डिजाइंस और पर्यावरण अनुकूल कलात्मक वस्तुओं के रूप में बांस कारीगरी से खूबसूरत उत्पाद तैयार करने वाली मीनाक्षी पिछले दो वर्षों से अपना सामाजिक उद्यम अभिसार इन्नोवेटिव को चला रही हैं।
पिछड़ी-आदिवासी महिलाओं को रोजगार प्रशिक्षण देने वाली मीनाक्षी को अक्टूबर 2019 में दिल्ली के शक्ति फाउंडेशन द्वारा टॉप-20 पुरस्कार दिया गया था। इसके अलावा उन्हें महिला सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय नारी शक्ति सम्मान भी प्राप्त हुआ है। पिछले साल विश्व स्तरीय ब्यूटी कॉन्टेस्ट मिस क्लाइमेट के लिए बांस के क्राउन बनाकर उन्होंने एक इतिहास रचा था।
बांस का अधिकाधिक उपयोग कर जंगलों का संरक्षण करना, मौसम परिवर्तन में योगदान देने, रोजगार सृजन व सतत विकास के लिए भविष्य में बांस से बने ईकोफ्रेंडली घरों की संकल्पना को साकार करने के लिए इजरायल के जेरूसलेम से मीनाक्षी को प्रशिक्षक के रूप में भी न्यौता मिल चुका है। कल्पनाशीलता व कुछ नया करने की सोच ने मीनाक्षी को कुछ अलग हटकर काम करने के लिए प्रेरित किया। उनके काम की गुणवत्ता ऐसी है कि जिसकी चर्चा इजिप्ट और ब्राजील के जानेमाने बांस डिजाइनर्स के बीच भी होती है और वह उनसे मिलना चाहते हैं।
मिनाक्षी का सपना आत्म निर्भर भारत के लिए वोकल टू लोकल पर अमल कर हैंडमेड इन इंडिया के तहत बांस से बने उत्पादों को घर-घर पहुंचाना है। मिनाक्षी ने कहा कि इस बार बांस से बनी राखियों को पूरे देश से जो प्रतिसाद मिला है, वो अतुल्नीय है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, गुजरात, हरियाणा व पंजाब के साथ ही साथ सऊदी अरब में भी बांस से बनी राखियों की खूब मांग आ रही है।