नई दिल्ली। आयकर विभाग नोटबंदी के दौरान बैंक खातों में अघोषित नकदी जमा कराने की पड़ताल के अपने अभियान ऑपरेशन क्लीन मनी का दूसरा चरण अगले महीने शुरू कर सकता है। हालांकि, दूसरे चरण में भी पांच लाख रुपए से कम की एकबारगी जमाओं को फिलहाल एक तरफ ही रखे जाने की उम्मीद है।
अधिकारियों ने बताया कि आयकर विभाग पिछले साल 8 नवंबर के बाद व इससे पहले की जमाओं के विश्लेषण के लिए दो डेटा विश्लेषक फर्मों की नियुक्ति अगले दस दिन में करेगा। अधिकारी ने कहा, सरकार को नोटबंदी से पहले व नोटबंदी के बाद करवाई गई जमाओं के आंकड़े बैंकों से मिल जाएंगे। यह डेटा स्टेटमेंट ऑफ फाइनेंसियल ट्रांजेक्शंस एसएफटी के तहत दिया जाना है।
- सरकार ने आठ नवंबर 2016 को 500, 1,000 रुपए के नोट अमान्य कर दिए थे इस फैसले से 86 प्रतिशत मुद्रा चलन से बाहर हो गई।
- अधिकारियों के अनुसार इस कवायद का उद्देश्य उस व्यक्ति के अनेक बैंक खातों या पैन नंबरों को आपस में जोड़ना है जिसने बड़ी संंख्या में नकदी जमा करवाई।
- आयकर विभाग ने समान पते, पैन संख्या, टेलीफोन नंबर, ईमेल पते या नाम जैसी समानता के आधार पर विभिन्न जमाओं में तार जोड़ने की कोशिश शुरू की है।
- अधिकारी ने कहा, कम राशि वाली एकल जमाएं जांच दायरे में नहीं आएंगी।
5 लाख तक जमा कराने वालों की फिलहाल नहीं होगी जांच
- अधिकारी के अनुसार, कर विभाग एकल आधार पर पांच लाख रुपए से कम राशि वाली जमाओं की फिलहाल अनदेखी कर सकता है।
- नोटबंदी के दौरान बैंक खातों में भारी जमाओं के मद्देनजर संभावित कर चोरों को पकड़ने के लिए विभाग ने आपरेशन क्लीन मनी शुरू किया।
- इसके तहत पांच लाख रुपए से अधिक की संदिग्ध जमा करवाने वाले 18 लाख लोगों को एसएमएस, ईमेल भेजे गए।
- सात लाख से अधिक लोगों ने ई-फाइलिंग पोर्टल के जरिए अपने जवाब दिए और जमा करवाना स्वीकार किया।
- नोटबंदी के बाद दो लाख रुपए से अधिक की राशि में कुल 10 लाख करोड़ रुपए जमा करवाए गए हैं।
- अधिकारी ने कहा कि इसमें से 4.5 लाख करोड़ रुपए की राशि का सत्यापन किया जा रहा है।