नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को डायरेक्ट टैक्स विवाद समाधान योजना की समयसीमा एक माह और बढ़ाने की घोषणा की है। सरकार ने पहले यह योजना 31 दिसंबर 2016 तक के लिए घोषित की थी, जिसे बढ़ाकर अब 31 जनवरी 2017 तक कर दिया गया है।
डायरेक्ट टैक्स विवाद समाधान योजना का मकसद न केवल पिछली तिथि वाले टैक्स विवादों का समाधान करना है, बल्कि डायरेक्ट टैक्स से जुड़े 2.6 लाख मामलों का भी समाधान करना है, जिनमें करीब 5.16 लाख करोड़ रुपए का टैक्स फंसा है।
- वोडाफोन और केयर्न एनर्जी जैसी कंपनियों को पुराने टैक्स विवाद निपटाने के लिए एक महीने का और समय मिल गया है।
- केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 26 मई 2016 को योजना को अधिसूचित किया, जिसमें कहा गया था कि योजना एक जून से खुलकर 31 दिसंबर को बंद हो जाएगी।
- इस योजना में टैक्स विवाद समाधान के लिए आगे आने वाली कंपनियों को बकाये टैक्स की मूल राशि का भुगतान करने पर जुर्माने और ब्याज से छूट होगी।
- इसमें कहा गया है कि पिछली तिथि वाले टैक्स मामलों को छोड़कर अन्य मामले जो 29 फरवरी 2016 को आयकर आयुक्त (अपील) के समक्ष लंबित हैं, उनमें विवाद वाली टैक्स राशि और आकलन की तिथि तक बने ब्याज का भुगतान करके मामला निपटाया जा सकता है।
- यह योजना अभियोजन का सामना कर रहे टैक्सपेयर्स को आगे आकर अपने विवाद का निपटारा करने का अवसर उपलब्ध कराती है।
- इस विशेष योजना की घोषणा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण 2016 में की थी।
- इस योजना के तहत, जिन विवादों में टैक्स की राशि 10 लाख रुपए से अधिक है, वहां टैक्सपेयर्स को विवादित टैक्स, ब्याज और 25 प्रतिशत की न्यूनतम पेनल्टी का भुगतान करना होगा।
- ऐसे मामलों में जहां विवादित टैक्स की राशि 10 लाख रुपए से अधिक नहीं है, वहां टैक्सपेयर्स को केवल विवादित टैक्स और ब्याज का ही भुगतान करना होगा। यहां उसे किसी भी प्रकार की पेनल्टी नहीं देनी होगी।