नई दिल्ली। कोरोना महामारी के संकट काल में गांवों में दिहाड़ी मजदूरों के लिए मनरेगा एक बड़ा सहारा बन गया है। केंद्र सरकार के आंकड़े बताते हैं कि जुलाई में मनरेगा के तहत लोगों को पिछले साल के मुकाबले 114 फीसदी ज्यादा काम मिला है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत गांवों में लोगों को मिल रहे काम के इस आंकड़े में मई से लगातार इजाफा हो रहा है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत संचालित रोजगार की इस स्कीम के तहत बीते महीने मई में पिछले साल के मुकाबले लोगों को 73 फीसदी ज्यादा काम मिला जबकि जून में 92 फीसदी और जुलाई में 114 फीसदी ज्यादा काम मिला है।
दरअसल, कोरोना काल में महानगरों से प्रवासी मजदूरों के पलायन के बाद गांवों में उनके लिए रोजी-रोटी का साधन मुहैया करवाने के मकसद से सरकार ने भी मनरेगा पर विशेष जोर दिया और पहले इस योजना के तहत दिहाड़ी मजदूरी की दर 182 रुपये से बढ़ाकर 202 रुपये रोजाना कर दी और बाद में इसका बजट भी 40,000 करोड़ रुपये बढ़ा दिया। चालू वित्त वर्ष 2020-21 में मनरेगा का बजटीय आवंटन 61,500 करोड़ रुपये था और कोरोना काल में आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत सरकार द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज में मनरेगा के लिए 40,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान किया गया। मंत्रालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार मनरेगा के तहत जुलाई में देशभर में औसतन 2.26 करोड़ लोगों को काम मिला जोकि पिछले साल के मुकाबले 114 फीसदी अधिक है जब इसी महीने में औसतन 1.05 करोड़ लोगों को रोजाना काम मिला था।
इससे पहले जून में औसतन 3.35 करोड़ लोगों को रोजाना काम मिला जोकि पिछले साल जून के 1.74 करोड़ के मुकाबले 92 फीसदी अधिक है। वहीं, इस साल मई में औसतन 2.51 करोड़ लोगों को मनरेगा के तहत रोजाना काम मिला जोकि पिछले साल जून के आंकड़े 1.45 करोड़ से 73 फीसदी अधिक है। आंकड़ों के अनुसार, मनरेगा के तहत 1.86 लाख ग्राम पंचायतों में 30 जुलाई तक लोगों को काम मिला है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, मनरेगा के तहत 30 जुलाई तक 9.24 करोड़ लोगों को रोजगार के अवसर मिले हैं और 29 जुलाई तक इस स्कीम के तहत कुल 50,780 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में 30 जुलाई तक 157.89 करोड़ मानव दिवस यानी पर्सन डेज सृजित हुए हैं जबकि बीते वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 265.35 पर्सन डेज सृजित हुए थे। मनरेगा के तहत ग्रामीण क्षेत्र में काम करने के इच्छुक लोगों को साल में 100 दिन रोजगार की गारंटी दी जाती है। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (नरेगा) नाम से 2006 में कांग्रेस के शासन काल में शुरू हुई इस योजना का नाम 2009 में बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) कर दिया गया।