नई दिल्ली। देश में एक अप्रैल 2016 से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने का प्रस्ताव है। हालांकि अभी तक जीएसटी को संसद की मंजूरी नहीं मिल पाई है। बावजूद इसके सरकार इसे लागू करने की तैयारियों में जुटी हुई है। जीएसटी के लिए व्यवसाय प्रसंस्करण पर गठित संयुक्त कमेटी ने केंद्रीय जीएसटी, राज्य जीएसटी और एकीकृत जीएसटी के लिए नियमित ई-रिटर्न फाइल करने की व्यवस्था का सुझाव दिया है।
कमेटी के प्रस्ताव मुताबिक एक कारोबारी से दूसरे कारोबारी के बीच विभिन्न श्रेणियों में होने वाले सौदों के बारे में आठ फॉर्म के सेट के जरिये मासिक आधार पर रिटर्न दाखिल करनी पड़ सकती है। प्रस्ताव के मुताबिक यह रिटर्न महीने की एक निश्चित तिथि पर दाखिल की जा सकती है। जैसे कि बाहर भेजे गए माल पर अगले महीने की 10 तारीख, आने वाले माल के लिए 15 तारीख और मासिक रिटर्न के लिए 20 तारीख तय की जा सकती है।
होंगे आठ फॉर्म
कमेटी ने कहा कि जीएसटी व्यवस्था में कर का भुगतान करने वालों को रिटर्न दाखिल करने के लिए आठ फॉर्म होंगे। इसमें जीएसटीआर-5 फॉर्म में प्रवासी कर दाताओं द्वारा जीएसटी रिटर्न दाखिल करने का प्रावधान होगा। प्रवासी करदाताओं में टैक्सी सेवा देने वाली कंपनी उबर आदि हो सकती है।
रिटर्न फाइन न करने पर होगी कार्रवाई
रिपोर्ट में कहा गया है कि नियत समय पर रिटर्न दाखिल नहीं करने वाले डिफॉल्टर्स की एक लिस्ट बनाई जाएगी और इसका ब्यौरा जीएसटी प्रशासन को जरूरी कार्रवाई के लिए भेजी जाएगी। संयुक्त कमेटी ने यह भी सुझाव दिया है कि जीएसटी कानून में रिटर्न दाखिल नहीं करने वालों या फिर देर से दाखिल करने वालों पर स्वत: जुर्माने का प्रावधान होना चाहिए। इसमें कहा गया है कि यदि रिटर्न बिना पूर्ण भुगतान के भरी गई है तो उन्हें अवैध ठहरा दिया जाएगा। जीएसटी रिटर्न में संशोधन का कोई प्रावधान नहीं होगा।
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