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भारत की सुधारात्‍मक नीतियों पर अमेरिका ने जताया भरोसा, प्रणाली में सुधार होने से बढ़ेगा निवेश

भारत ने अपनी नीतियों जैसे एफडीआई, शुल्क और सीमाशुल्क प्रक्रियाओं में उल्लेखनीय बदलाव किए हैं, जिससे भारतीय बाजार में अमेरिका के निवेश की पहुंच बढ़ी है।

Abhishek Shrivastava
Updated on: October 23, 2015 15:43 IST
भारत की सुधारात्‍मक नीतियों पर अमेरिका ने जताया भरोसा, प्रणाली में सुधार होने से बढ़ेगा निवेश- India TV Paisa
भारत की सुधारात्‍मक नीतियों पर अमेरिका ने जताया भरोसा, प्रणाली में सुधार होने से बढ़ेगा निवेश

वॉशिंगटन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में देश की अर्थव्‍यवस्‍था को गति प्रदान करने के लिए उठाए गए सुधारात्‍मक कदमों पर अमे‍रिका ने भी अपना भरोसा जताया है। शुक्रवार को अमेरिका में जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने अपनी नीतियों जैसे एफडीआई, शुल्क और सीमाशुल्क प्रक्रियाओं में उल्लेखनीय बदलाव किए हैं, जिससे भारतीय बाजार में अमेरिका के व्यापार और निवेश की पहुंच बढ़ी है। इतना ही नहीं वर्ल्‍ड बैंक ने भी अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में 11 नए पेमेंट बैंक चालू होने से देश के विशाल ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक सेवाओं का विस्तार होने की उम्मीद है।

नीतियों में उल्‍लेखनीय बदलाव

अमेरिकी अंतरराष्‍ट्रीय व्‍यापार आयोग (यूएसआईटीसी) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश(एफडीआई), शुल्क और सीमाशुल्क प्रक्रियाओं, स्थानीय सामग्री और स्थानीकरण तथा मानकों एवं तकनीकी नियमनों के संबंध में अपनी नीतियों में उल्लेखनीय बदलाव किए हैं। यूएसआईटीसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मई 2014 से भारत ने बीमा एवं रक्षा उद्योगों में एफडीआई सीमा बढ़ाई है, विभिन्न उद्योगों में निवेश पूर्व मंजूरी की अनिवार्यता हटी है और रेलवे उद्योग के कुछ हिस्सों में एफडीआई की मंजूरी मिली है। इन बदलावों से भारत को कुल निवेश प्रणाली सुधारने में मदद मिली है।

 पेमेंट बैंकों से ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं का विस्तार  

वहीं दूसरी ओर वर्ल्‍ड बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में 11 नए पेमेंट बैंक खुलने से देश के विशाल ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक सेवाओं का विस्‍तार होने की उम्‍मीद है। वर्ल्‍ड बैंक के मुताबिक नई इकाइयों के आने से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, रेमिटैंस (धन प्रेषण) की लागत कम होगी और रेमिटैंस के लिए औपचारिक बाजार का विस्तार होगा। वर्ल्‍ड बैंक ने कहा कि भारत में आधी आबादी के पास औपचारिक बैंक खाते नहीं हैं और ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में आस-पास बैंकिंग सेवा नहीं है।

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