वॉशिंगटन। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा है कि वह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और भारत सरकार के बीच तनातनी की स्थिति की निगरानी कर रहा है। उसने कहा कि किसी भी देश में केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता में दखल नहीं दिया जाना चाहिए।
ऐसी खबरें हैं कि रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार के बीच कुछ मुद्दों पर मतभेद है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को रिजर्व बैंक की आलोचना की थी और 2008 से 2014 के दौरान अंधाधुंध तरीके से ऋण वितरण पर रोक नहीं लगाने का आरोप मढ़ते हुए रिजर्व बैंक को मौजूदा एनपीए संकट के लिए जिम्मेदार बताया था।
आईएमएफ के निदेशक (संवाद) गैरी राइस ने विवाद के बारे में पूछे जाने पर गुरुवार को कहा कि हम इस बाबत स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि मैंने पहले भी कहा है कि हम जिम्मेदारी और जवाबदेही का समर्थन करते हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर श्रेष्ठ तरीका यह है कि केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता में किसी प्रकार का दखल नहीं होना चाहिए और उसकी कार्य प्रणाली में सरकार या उद्योग जगत का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।
राइस ने कहा कि यह सच है कि कई देशों में केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता बेहद मायने रखती है। राइस ने केंद्रीय बैंक की आलोचना के बढ़ते चलन के बारे में पूछे जाने पर कहा कि हमें इसका अफसोस है कि हमें कई देशों के संदर्भ में बयान देना पड़ रहा है।
पाकिस्तान को वित्तीय मदद के कार्यक्रम पर सात नवंबर से शुरू होगी बातचीत
आईएमएफ ने कहा है कि पाकिस्तान को दी जाने वाली प्रस्तावित आर्थिक मदद के बारे में अगले सप्ताह बुधवार से बातचीत शुरू होगी। पाकिस्तान के वित्त मंत्री असद उमर ने पिछले महीने आईएमएफ से वित्तीय सहायता का औपचारिक निवेदन किया था।
आईएमएफ के निदेशक (संवाद) गैरी राइस ने बताया कि हमें उम्मीद है कि बातचीत सात नवंबर से शुरू होगी। आईएमएफ का एक दल इसके लिए इस्लामाबाद जाएगा और प्राधिकरणों के साथ चर्चा शुरू करेगा। उन्होंने कहा इस वित्तीय कार्यक्रम का उद्देश्य पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में मदद करना तथा टिकाऊ समावेशी आर्थिक वृद्धि के लिए पूर्व शर्तें निर्धारित करना है। उन्होंने कहा कि एकबार यह तय हो जाने के बाद कार्यक्रम को अंतिम मंजूरी के लिए आईएमएफ के निदेशक मंडल के समक्ष पेश किया जाएगा।