इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के विशेषज्ञों के दल को आमंत्रित किया है। देश की अर्थव्यवस्था इस समय भुगतान संतुलन संकट से जूझ रही है। समाचार पत्र एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान ने आईएमएफ की मदद लेने का निर्णय किया है। इससे पहले, आंतरिक रूप से इस बात का आकलन किया गया था कि आईएमएफ से सहयता लेने का कितना नफा-नुकसान होगा। इसमें यह पाया गया कि प्रोत्साहन का लाभ देश को आर्थिक संप्रभुता के मोर्चे पर कुछ समझौते समेत जो लागत चुकानी होगी, उससे अधिक है।
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) तथा वित्त मंत्रालय के ताजा आकलन के अनुसार पाकिस्तान को विदेशों से लिए गए कर्ज की किस्त चुकाने के लिए चालू वित्त वर्ष 2018-19 में 11.7 अरब डॉलर की जरूरत होगी।
वित्त मंत्रालय के आकलन के अनुसार पाकिस्तान का सकल बाह्य वित्त पोषण जरूरत खतरनाक स्तर 31 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। यह इस मान्यता पर आधारित है कि चालू खाते का घाटा 18.5 अरब डॉलर पहुंच जाएगा। अखबर ने वित्त मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से कहा है कि दो सप्ताह से अधिक समय तक चले आंतरिक विश्लेषण के बाद पाकिस्तान सरकार ने मुद्राकोष की टीम को आमंत्रित करने का निर्णय किया है।
इसमें कहा गया है कि वित्त मंत्री असद उमर इस संदर्भ में आईएमएफ के निदेशक (पश्चिम और मध्य एशिया) जिहाद एजर से संपर्क कर चुके हैं। उमर ने कहा है कि मुद्राकोष की टीम इस माह के अंत तक पाकिस्तान आएगी।