सिंगापुर। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने इस साल भारत की आर्थिक वृद्धि दर के 7.5 फीसदी रहने के अपने पहले के अनुमान को बनाए रखा है। उसका कहना है कि वृद्धि को मुख्यत: निजी उपभोग से मदद मिलेगी पर निर्यात कारोबार की कमजोरी और ऋण विस्तार में नरमी का वृद्धि पर असर होगा।
इस बहुपक्षीय वित्तीय निकाय को लगता है कि पेट्रोलियम के भावों में गिरावट और वास्तविक आय ऊंची होने से भारत में निजी क्षेत्र में उपभोग को बढ़ावा मिलेगा। उसने देश के नीति निर्माताओं से बुनियादी सुधारों को लागू करने में तत्परता दिखाने की अपील की है। मुद्राकोष की एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र की आर्थिक संभावनाओं के बारे में ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्यात कमजोर रहने और ऋण कारोबार की वृद्धि धीमी रहने का भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा। इसके अनुसार कंपनी जगत और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की वित्तीय स्थिति की कमजोरियों से ऋण कारोबार धीमा रहेगा।
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मुद्राकोष की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को तेल की कीमतों में गिरावट से लाभ हुआ है और यह विश्व की सबसे तीव्र गति से वृद्धि कर रही अर्थव्यवस्था बना हुआ है और इस साल तथा अगले साल इसकी वृद्धि 7.5 फीसदी रहने की उम्मीद है। रिपोर्ट के अनुसार एशिया और प्रशांत क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि इस साल और अगले साल 5.3 फीसदी रहने की संभावना है। यह उसकी क्षेत्र के लिए पहले घोषित 5.4 फीसदी वृद्धि से कम है। उसने कहा कि इस क्षेत्र में चीन और जापान की अर्थव्यवस्थाओं के सामने चुनौतियां बनी रहेंगी। इसमें चीन की वृद्धि दर इस साल 6.5 फीसदी और अगले साल 6.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है। वर्ष 2015 में चीन की वृद्धि 6.9 फीसदी थी। जापान की वृद्धि इस साल भी 0.5 फीसदी रहने की संभावना है, जबकि अगले साल यह 0.1 फीसदी गिर सकती है।
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