वॉशिंगटन। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की मुख्य अर्थशास्त्री भारतवंशी गीता गोपीनाथ ने अपने एक ब्लॉग में लिखा है कि वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में 2019 की पहली छमाही के दौरान दुनिया की 70 प्रतिशत अर्थव्यवस्थाओं में सुस्ती आने का अनुमान जताया गया है।
ब्लॉग में गीता गोपीनाथ ने लिखा है कि एक साल पहले, आर्थिक गतिविधियां पूरी दुनिया में तेजी से आगे बढ़ रही थीं। एक साल बाद, इसमें बहुत बदलाव आया है। अमेरिका-चीन के बीच बढ़ते व्यापार तनाव, चीन में क्रेडिट पर लगाम लगाने की आवश्यकता, अर्जेंटीना और तुर्की में व्यापक आर्थिक तनाव, जर्मनी के ऑटो सेक्टर में अवरोध उत्पन्न होने आदि ने मिलकर विश्व अर्थव्यवस्था को सुस्त बनाने का काम किया है, विशेषकर 2018 की दूसरी छमाही में।
गीता गोपीनाथ ने लिखा है कि यूरो क्षेत्र में यह सुस्ती तेज होगी, खासकर जर्मनी और इटली की अर्थव्यवस्थाओं में धीमापन आएगा। इसके अलावा यूरोपीय संघ से बाहर होने को लेकर जारी खींचतान के चलते आईएमएफ ने ब्रिटेन के आर्थिक परिदृश्य को इस साल और अगले साल के लिए कम कर दिया है। आईएमएफ ने कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं, जिसमें यूरो क्षेत्र, लैटिन अमेरिका, युनाइटेड स्टेट, युनाइटेड किंगडम, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं, के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को कम किया है।
गीता गोपीनाथ आगे लिखती हैं कि कमजोर शुरुआत के बाद, 2019 की दूसरी छमाही में विकास में तेजी आने की उम्मीद है। इस तेजी को प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की उदार मौद्रिक नीति का सहारा मिलेगा। यूएस फेडरल रिजर्व, यूरोपियन सेंट्रल बैंक, बैंक ऑफ जापान और बैंक ऑफ इंग्लैंड सभी एक अधिक समायोजन रुख को अपना चुके हैं। चीन ने व्यापार शुल्कों के नकारात्मक प्रभाव से निपटने के लिए अपने राजकोषीय और मौद्रिक प्रोत्साहन में वृद्धि की है। इसके अलावा, अमेरिका-चीन व्यापार तनाव के दृष्टिकोण में सुधार हुआ है और दोनों के बीच व्यापार समझौते की संभावनाएं प्रबल हो रही हैं।