नई दिल्ली। आईएमएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कोरोना वायरस महामारी को लेकर भारत के वित्तीय प्रोत्साहन और ‘लॉकडाउन’ समेत नीतिगत कदमों की सराहना की है। उन्होंने यह भी कहा कि इस अप्रत्याशित संकट ने देश में स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के एशिया प्रशांत विभाग के निदेशक चांग योंग री ने पीटीआई भाषा से बातचीत में कहा कि आईएमएफ वित्तीय स्थिरता ओर भारतीय अर्थव्यवस्था को महामारी से बाहर निकलने में मदद के लिये रिजर्व बैंक के नीतिगत पहल का भी समर्थन करता है।
भारत में कोरोना वायरस संक्रमित मामलों की संख्या 12 के पार पहुंच गयी है जबकि 414 लोगों की मौत हुई है। उन्होंने कहा कि हम महामारी की रोकथाम के लिये देशव्यापी बंद और उसके प्रभाव से बचाव के लिये वित्तीय पैकेज समेत अन्य नीतिगत कदमों का पुरजोर समर्थन करते हैं। उनके मुताबिक प्रमुख दरों में कमी के साथ नकदी बढ़ाने के नियामकीय उपायों से कर्ज लेने वालों और वित्तीय संस्थानों को कुछ राहत मिलेगी।
री ने कहा कि सरकार के लिये तत्काल प्राथमिकता दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश के लोगों की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिये हर जरूरी कदम उठाने की है। आईएमएफ के निदेशक ने कहा कि मध्यम अवधि में समावेशी और भरोसेमंद वृद्धि हासिल करने के लिये व्यापक संरचनात्मक सुधारों को आगे बढ़ाने की जरूरत है। इस महामारी ने स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की जरूरत को रेखांकित किया है। यह निर्धारित करना महत्वपूर्ण है कि चिकित्सा उपकरणों के लिये खर्च हो, डाक्टर और नर्स को पर्याप्त मदद मिले।
कोरोना वायरस के भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर री ने कहा कि मांग पक्ष के आधार पर प्रमुख कारोबार भागीदारों की तरफ से बाह्य मांग में कमजोरी, पर्यटन में कमी और वैश्विक वत्तीय झटकों से वृद्धि प्रभावित होगी। इन सबसे घरेलू वित्तीय स्थिति तंग होगी।