वॉशिंगटन। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने मंदी के जोखिम को टालने तथा वैश्विक वित्तीय स्थिरता बढ़ाने को लेकर मौद्रिक, राजकोषीय तथा संरचनात्मक कार्रवाई के साथ तीन स्तरीय रूपरेखा अपनाने का आह्वान किया है। साथ ही आईएमएफ ने भारत को दुनिया में आकर्षक स्थल बताया है।
आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीना लेगार्ड ने अपने वैश्विक नीति एजेंडे में कहा, वैश्विक पुर्नरुद्धार जारी है लेकिन कमजोर हुआ है। वैश्विक स्तर पर जिंसों की कम कीमत का वस्तु आयातकों पर प्रभाव उम्मीद की तुलना में कम सकारात्मक है। जिंस निर्यातकों को अधिक कठिन माहौल में अपने अर्थ प्रबंधन को समायोजित करना है। उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था हल्के रूप से आगे बढ़ रही है लेकिन परिदृश्य अक्टूबर से और कमजोर हुआ है और जोखिम बढ़ा है।
क्रिस्टीन ने कहा, वैश्विक अर्थव्यवस्था वृद्धि से प्रभावित हुई है। वृद्धि दर लंबे समय से काफी धीमी है। इस दर पर उच्च जीवन स्तर, कम बेरोजगार तथा कर्ज के स्तर में गिरावट के साथ टिकाउ पुर्नरुद्धार मुश्किल है। उन्होंने कहा, हालांकि हाल में आंकड़ों के जरिये कुछ सुधार दिखे हैं। तेल कीमतों में तेजी, चीन से बहिर्प्रवाह पर दबाव में कमी तथा प्रमुख केंद्रीय बैंकों के कदमों से धारणा सुधरी है। क्रिस्टीना ने कहा कि ब्राजील तथा रूस में मंदी के कारण उभरती अर्थव्यवस्थाओं में गतिविधियां धीमी बनी हुई हैं, जबकि संकट के बाद से वैश्विक वृद्धि में इनका बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने कहा, मौजूदा संक्रमण जारी रहेगा जिससे चीन की वृद्धि धीमी होगी। खासकर विनिर्माण क्षेत्र में लेकिन इसे ज्यादा भरोसेमंद बनाएगा। वहीं दूसरी तरफ वास्तविक आय बढ़ने तथा बेहतर घरेलू मांग से भारत एक आकर्षक स्थल बना हुआ है।
वैश्विक वित्तीय जोखिम बढ़ा है
आईएमएफ ने इससे पहले कहा था कि वैश्विक आर्थिक स्थिरता से बचने तथा वित्तीय स्थिरता जोखिम से निपटने को लेकर प्रभावकरी नीतियों की जरूरत है। अनिश्चितता बढ़ने, जिंसों के दाम में गिरावट तथा चीन की वृद्धि को लेकर चिंता के कारण विकसित देशों में यह समस्या बढ़ी है। आईएमएफ ने आगाह किया कि इस प्रकार के जोखिम उभरते बाजारों में भी है और अगर इसका प्रभावी तरीके से प्रबंधन नहीं किया गया तो इससे आर्थिक और वित्तीय शिथिलता आएगी।
अपनी वैश्विक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में आईएमएफ ने कहा है कि बाजार में उतार-चढ़ाव वृद्धि को झटके, अनिश्चितता तथा कमजोर विश्वास के रूप में प्रतिबिंबित होता है। अधिक संतुलित तथा प्रभावकारी नीतियों के मिश्रण को अपनाने से वैश्विक उत्पादन में 2.0 फीसदी की अतिरिक्त वृद्धि हो सकती है।