वाशिंगटन। चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि 6.7 फीसदी रहने का अनुमान वास्तव में उसकी अर्थव्यवस्था की दीर्घावधि संभावनाओं में एक अस्थायी व्यवधान की तरह है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के एक शीर्ष अधिकारी ने यह बात कही। नोटबंदी और वस्तु एवं सेवा कर (GST) की वजह से उत्पन्न हुई समस्याओं के चलते IMF ने अपनी नवीनतम विश्व आर्थिक रिपोर्ट में भारत की आर्थिक वृद्धि 2017 में 6.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। यह उसके पूर्व के दो अनुमानों से 0.5 फीसदी कम है।
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इस रिपोर्ट के जारी होने के बाद IMF में आर्थिक सलाहकार एवं शोध विभाग के निदेशक मॉरिस ऑब्स्टफेल्ड ने कहा कि अर्थव्यवस्था में इस साल आया यह धीमापन वास्तव में उसकी दीर्घावधि सकारात्मक आर्थिक विकास की तस्वीर पर एक छोटे से अस्थायी दाग की तरह है।
एक प्रेसवार्ता के दौरान यहां विभिन्न प्रश्नों के जवाब देते समय ऑब्स्टफेल्ड भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य को लेकर आश्वस्त नजर आए। उन्होंने कहा कि आम तौर पर भारत की अर्थव्यवस्था बेहतर हालत में है। सरकार ने पूरी ऊर्जा के साथ ढांचागत सुधार लागू किए हैं जिनमें GST शामिल है। इसका दीर्घावधि में लाभ होगा।
IMF में आर्थिक सलाहकार मॉरिस ऑब्स्टफेल्ड ने कहा कि भारत को व्यापार की बेहतर शर्तों का लाभ मिला है। साथ ही मानसून के सामान्य होने का भी इसे लाभ मिला है क्योंकि इससे कृषि को फायदा मिला है। हालांकि, इस वर्ष के लिए दो प्रमुख व्यवधान दिखते हैं।
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उन्होंने कहा कि इसमें से एक है GST का लागू किया जाना वह भी विशेषकर जुलाई और अगस्त के महीने में, जिसके कुछ रुकावट पैदा करने वाले प्रभाव देखे गए हैं। IMF का मानना है कि यह प्रभाव बीत रहे हैं और आप देख सकते हैं कि अगले साल के लिए हमारा आर्थिक वृद्धि भारत की का अनुमान ऊंचा है, मेरे हिसाब से 7.4 फीसदी। उन्होंने कहा कि दूसरी परेशानी है नोटबंदी। इससे अस्थाई तौर पर नकदी की कमी हुई जो अब खत्म हो गई है।
अपनी रिपोर्ट में IMF ने भारत की वृद्धि की गति धीमे होने की बात कही है जिसकी अहम वजह देश में नोटबंदी और साल के मध्य में GST लागू करने से छायी अनिश्चितता है। हालांकि GST से मध्यम अवधि में 8 फीसदी की वृद्धि दर पाने में मदद मिलने की उम्मीद है।