इस्लामाबाद। चीन के पाकिस्तान में लगातार बढ़ते निवेश को लेकर इंटरनेशनल मॉनेट्री फंड (IMF) के बाद वॉशिंगटन स्थित बड़े इकोनॉमिस्ट पीटरसन और कैपिटल इकनॉमिक्स ने भी कहा कि चीन सीपैक को लेकर भारत की चिंताओं को नजरअंदाज कर बड़ा जोखिम मोल ले रहा है। इसमें कहा गया है कि भारत भी इस प्रॉजेक्ट को लेकर समस्याएं पैदा कर सकता है। ये समस्याएं कैसी होंगी हालांकि रिपोर्ट में इस बात का खुलासा नहीं किया गया है।
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अब इस रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा
- लंदन स्थित कैपिटल इकनॉमिक्स ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा, ‘कुल मिलाकर देखा जाए तो सीपैक पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बड़ा फायदा लेकर आने वाला नहीं है।
- संस्था ने आगे कहा कि अर्थव्यवस्था के बाकी क्षेत्रों में रिफॉर्म की स्थिति अच्छी नहीं है इस बात को नजर में रखते हुए हम कह सकते हैं कि अगले दशक में पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था 4.5 प्रतिशत की रफ्तार से आगे बढ़ेगी जो पिछली एक दहाई से बहुत अलग नहीं है।
- इस रिपोर्ट में यह कहा गया है, ‘सीपैक को लेकर चीन ने भारत को कई बिंदुओं पर नाराज करने का जोखिम उठा रहा है।
- भारत की सबसे बड़ी नाराजगी इस प्रॉजेक्ट के पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर से होकर गुजरने को लेकर है।
- इसके साथ ही ग्वादर पोर्ट को लेकर भारत की एक आशंका यह भी है कि चीन एक न एक दिन इसका इस्तेमाल अपनी नौसेना के लिए भी करेगा।
- इन कारणों से भारत इस प्रॉजेक्ट की राह में रोड़े अटका सकता है।
तस्वीरों में देखिए भारत के जेम्स बॉन्ड अजीत डोभाल को…
Ajit Doval NSA
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3 लाख करोड़ रुपए में बना रहा है नया प्रोजेक्ट
- लगभग हर दिन पाकिस्तानी अधिकारी 44 बिलियन अमेरिकी डॉलर (करीब 2.95 लाख करोड़ रुपए) की लागत से बनने वाले इस आर्थिक गलियारे को पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा गेम चेंजर बताते हैं।
- इस प्रॉजक्ट में बड़ी संख्या में चीनी कंपनियां काम कर रही हैं।
- इस प्रॉजक्ट ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को मुश्किल से बचाने का भी काम किया है जो पिछले साल देश में बिजली की कमी को लेकर काफी आलोचनाओं का सामना कर रहे थे।
- इस प्रॉजेक्ट का करीब 80 फीसदी हिस्सा विद्युत निर्माण में खर्च किया जाएगा जिससे 2030 तक 16000 मेगवॉट बिजली बनाने का दावा किया जा रहा है।
आईएमएफ ने भी हाल में दी थी चेतावनी
- आईएमएफ ने चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर का यहां की इकोनॉमी पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर इवैल्युएशन किया है।
- आईएमएफ के मुताबिक इन्वेस्टमेंट के शुरुआती फेज में एफडीआई बढ़ेगी और एक्सटर्नल फंड बढ़ेगा।
- इसकी वजह से करेंट अकाउंट घाटा बढ़ने की आशंका है।
- डान न्यूजपेपर में छपी रिपोर्ट में इसका जिक्र किया गया है।
आएगी निवेश में कमी
- आईएमएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन-पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) से जुड़ा इंपोर्ट 2020 तक 11 फीसदी तक पहुंच जाएगा।
- यह 5.7 अरब डॉलर के बराबर होगा, लेकिन देश में इन्फ्लो उस साल की अनुमानित जीडीपी का 2.2 फीसदी होगा।
- चीन के इन्वेस्टमेंट की वजह से देश में एक्सटर्नल फाइनेंसिंग नीड्स 60 फीसदी बढ़ जाएंगी।
- ये अनुमानित 11 अरब डॉलर से 2020 तक 17.5 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा।
- पाकिस्तान में इस प्रोजेक्ट के लिए शुरुआती तौर पर 27.8 अरब डॉलर रुपए आएंगे जबकि बाकी 16 अरब डॉलर की रकम 2030 तक प्रोजेक्ट पर इन्वेस्ट किया जाएगा।
आउटफ्लोज को मैनेज करना होगा जरूरी
- आईएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान को सीपीईसी से संबंधित ऑउटफ्लोज को मैनेज करना होगा।
- आईएमएफ ने कहा कि जब चाइनीज इन्वेस्टर्स देश में अपना प्रॉफिट हासिल करना शुरू करेंगे। तब आउटफ्लो बढ़ेगा और उसके साथ रिपेमेंट ऑब्लिगेशंस भी बढ़ेंगे।
- यह ऑब्लिगेशन चीनी बैंकों से लिए गए लोन पर बढ़ेगा।
- आईएमएफ ने अनुमान लगाया है कि 2021 के बाद लोन के बढ़ने की आशंका है और लॉन्ग टर्म में यह हर साल जीडीपी का 0.4 फीसदी हो जाएगा।
चीन-पाकिस्तान कॉरिडोर से फायदा होगा, गारंटी नहीं
- आईएमएफ ने कहा कि सीपीईसी की वजह से होने वाला ग्रोथ लॉन्ग टर्म में इन पेमेंट्स को भरने में मदद कर सकता है, लेकिन ऐसा पक्का होगा, इसकी गारंटी नहीं है।
- फंड ने कहा है कि अगर इन पेमेंट्स को अगर पाक समय पर करना चाहता है, तो इसके लिए उसे एक्सट्रा ग्रोथ करना होगा।
- भारत भी सीपीईसी प्रोजेक्ट का विरोध कर रहा है। उसका तर्क है कि यह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) से होकर निकल रहा है।