नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार ने यूनिक आइडेंटीफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) के तहत जुटाई गई बायोमेट्रिक जानकारी के गोपनीयता जोखिम को सुरक्षित बनाने के लिए एक नया नियम बनाया है। इसके तहत यदि कोई भी व्यक्ति बिना अधिकार के आधार डाटा का अवैध ढंग से उपयोग करता पाया जाता है तो उसे 10 साल तक की जेल की सजा हो सकती है। इसके अलावा सरकार ने कैबिनेट सेक्रेटरी से अधिकांश सेवाओं को आधार दायरे में लाने के लिए रणनीति बनाने के लिए कहा है।
यूआईडीएआई प्रोजेक्ट के गोपनीयता जोखिम को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने 21 दिसंबर को एक आदेश पारित किया है, जिसमें यूआईडीएआई के केंद्रीय पहचान डाटा भंडार सुविधाओं के साथ ही साथ सभी जानकारी संपत्ति, लॉजिस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर और निर्भरता वाले स्थानों पर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के प्रावधानों के तहत एक सुरक्षित सिस्टम लगाने की बात कही गई है। इसका मतलब यह है कि अधिकृत कर्मियों के अलावा यदि कोई भी यूआईडीएआई सिस्टम का उपयोग करता या करने की कोशिश करता है, उसे 10 साल तक की जेल और जुर्माना की सजा हो सकती है।
डिपार्टमेंट ऑफ एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स एंड पब्लिक ग्रीवनेंस के सचिव देवेंद्र चौधरी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी वरिष्ठ अधिकारियों से अधिकांश सरकारी सेवाओं को आधार के दायरे में लाने की योजना बनाने के लिए कहा है। आने वाले समय में अधिकांश सरकारी सेवाएं आधार प्लेटफॉर्म पर ही मिलेंगी। कैबिनेट सेक्रेटरी ने अधिकारियों के एक दल का गठन किया है जो जनवरी के पहले सप्ताह में बैठक कर यह पता लगाएगा कि कैसे इस सेवा को आगे बढ़ाया जाए। सरकार यूआईडीएआई को वैधानिक दर्जा देने के लिए संशोधित अधिनियम लाने पर विचार कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने 15 अक्टूबर को अपने अंतरिम आदेश में आधार नंबर का स्वैच्छिक तौर पर ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, जन धन योजना, पेंशन भुगतान, कर्मचारी भविष्य निधि योजना, सार्वजनिक वितरण प्रणाली और रसोई गैस तथा केरोसिन के वितरण में उपयोग करने को मंजूरी दी है।