नई दिल्ली। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की मुंबई पीठ ने सोमवार को कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री को संकटग्रस्त इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंस सर्विसेस लिमिटेड (आईएलएंडएफएस) के बोर्ड को भंग करने की अनुमति दे दी है। इसके अलावा एनसीएलटी ने उदय कोटक के नेतृत्व वाली 6 सदस्यी बोर्ड को कंपनी की कमान संभालने की अनुमति भी मंत्रालय को दी है। उदय कोटक के नेतृत्व वाला यह नया बोर्ड 8 अक्टूबर से पहले बैठक करेगा।
उल्लेखनीय है कि भारी कर्जसंकट में फंसे आईएलएंडएफएस को संभालने के लिए सरकार हरकत में आ गई थी और समूह की कई कंपनियों द्वारा कर्ज चुकाने में डिफॉल्ट करने के बाद सरकार कंपनी का प्रबंधन अपने हाथ में लेना चाहती थी। प्रबंधन में बदलाव की मंजूरी हासिल करने के लिए सोमवार को कॉरपोरेल कार्य मंत्रालय ने नेशनल लॉ ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया था। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इस मामले पर एनसीएलटी ने अपना निर्णय सुना दिया है।
आरबीआई भी इस मामले में नज़र रखे हुए है, सरकार को डर है कि कहीं इसके चलते वित्तीय बाजार में नकदी की समस्या न पैदा हो जाए। इसे देखते हुए कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने सोमवार को ट्रिब्युनल का दरवाजा खटखटाया है। इस ऋणग्रस्त कंपनी में एलआईसी, एसबीआई और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की बड़ी हिस्सेदारी है। 25.34 फीसदी शेयरों के साथ एलआईसी इसमें सबसे बड़ा साझेदार है। कंपनी पन फिलहाल 90,000 करोड़ से अधिक का कर्ज है।
सरकार के वरिष्ठ सूत्रों के मुताबिक सरकार इस पूरे मामले में कंपनी के उच्च अधिकारियों के कुप्रबंधन को अहम कारण मान रही है। कंपनी पर फिलहाल 90,000 करोड़ से अधिक का कर्ज है, जिसमें 57,000 करोड़ का कर्ज सरकारी बैंकों का है।