नई दिल्ली। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस (TCS) ने यू-टर्न लेते हुए डेल से उसके पेरोट आईटी बिजनेस को खरीदने के लिए दोबारा बातचीत शुरू कर दी है। इससे पहले कीमत को लेकर दोनों कंपनियों के बीच सौदे को लेकर बातचीत बंद हो गई थी। लेकिन अब पेरोट को खरीदने की दौड़ में टीसीएस अकेली नहीं है, अमेरिका की कोग्नीजेंट और फ्रंास की एटोस एसई भी इसे खरीदने के लिए बातचीत कर रहे हैं।
टीसीएस और डेल के बीच सौदे को लेकर बातचीत खत्म होने के बाद अब दोबारा बातचीत शुरू हुई है लेकिन अभी भी कीमत को लेकर सबसे ज्यादा दबाव है। डेल ने 2009 में पेरोट को 3.9 अरब डॉलर में खरीदा था लेकिन इसने डेल को ज्यादा फायदा नहीं पहुंचाया। टीसीएस ने अपनी पहले दौर की बातचीत में पेरोट के लिए 4 अरब डॉलर की बोली लगाई थी, कोग्नीजेंट और एटोस ने इसके लिए क्रमश: 4.2 अरब डॉलर और 4.3 अरब डॉलर की बोली लगाई है। डेल ने पेरोट की बिक्री के लिए 5 अरब डॉलर का प्राइस टैग रखा है। 146 अरब डॉलर वाली भारतीय आईटी इंडस्ट्री के लिए यह सौदा उस वक्त आया है, जब यह धीमे रेवेन्यू ग्रोथ के दौर से गुजर रही है। टॉप क्लाइंट्स टेक्नोलॉजी पर खर्च में कटौती कर रहे हैं या फिर वह इन-हाउस सॉफ्टवेयर प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं।
कंपनी रिपोर्ट के मुताबिक जब डेल ने 2009 में इसे खरीदा था तब इसका सालाना रेवेन्यू 2.6 अरब डॉलर था। यदि यह मान लिया जाए कि सालाना रेवेन्यू ग्रोथ 2-3 फीसदी है तो वर्तमान में पेरोट का रेवेन्यू 3.1 अरब डॉलर होना चाहिए। यदि टीसीएस पेरोट को हासिल करने में सफल रहती है तो यह बाकी सभी कंपनियों को पीछे छोड़ देगी और यह भारतीय प्रतिस्पर्धी इंफोसिस से आकार के मामले में दोगुनी हो जाएगी। इंफोसिस का वर्तमान में सालाना रेवेन्यू 9 अरब डॉलर है, जबकि टीसीएस का वर्तमान में रेवेन्यू 16 अरब डॉलर सालाना से ज्यादा है।