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Aadhaar Card को संपत्ति के साथ जोड़ने से काले धन में आएगी बड़ी कमी, सर्वे में बात आई सामने

लोकलसर्कल्स प्लेटफॉर्म पर नागरिकों ने विभिन्न क्षेत्रों की ओर इशारा किया, जहां अवैध आर्थिक गतिविधियां व्याप्त हैं। सर्वे में 15,492 मतदाताओं ने अपने विचार रखे हैं।

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated : November 07, 2020 13:01 IST
 if aadhaar card linked to property then will be a big reduction in black money
Photo:FILE PHOTO

पर्स में रखा हुुुुआ एक आधार कार्ड। (च‍ित्र प्रतीकात्‍मक हैै)

नई दिल्‍ली। एक सर्वे में शामिल अधिकांश लोगों ने इच्छा जाहिर की है कि सरकार को नागरिकों की सभी संपत्ति को आधार कार्ड के साथ अनिवार्य रूप से जोड़ना चाहिए और सभी मंत्रियों, सरकारी कर्मचारियों एवं उनके परिवार के सदस्यों की सभी संपत्तियों का अनिवार्य रूप से खुलासा किया जाना चाहिए। लोगों का मानना है कि अगर ऐसा होगा तो काले धन पर अंकुश लगाया जा सकेगा। सर्वे में शामिल लोगों ने न केवल केंद्र सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, बल्कि सभी राज्य सरकार के मंत्रियों एवं कर्मचारियों और उनसे प्रत्यक्ष रूप से जुड़े परिवार के सदस्यों पर भी यह नियम लागू किए जाने की बात कही है।

काले धन या रिश्वत के मामले में सर्वे में लोगों द्वारा पहचाने गए प्रमुख मुद्दों में से एक सार्वजनिक कंपनियों द्वारा शेल कंपनियों का उपयोग भी देखने को मिला है। नागरिकों का मानना है कि कैसे भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों के परिवार के सदस्यों को इन शेल कंपनियों में निदेशक के रूप में सूचीबद्ध किया जाता है और एक उच्च प्रीमियम पर शेयर पूंजी के रूप में भ्रष्टाचार होता है। तब प्राप्त धन का उपयोग कंपनी के प्रमोटरों द्वारा स्वयं या फर्जी कर्मचारियों को वेतन का भुगतान करने के लिए किया जाता है।

लोकलसर्कल्स प्लेटफॉर्म पर नागरिकों ने विभिन्न क्षेत्रों की ओर इशारा किया, जहां अवैध आर्थिक गतिविधियां व्याप्त हैं। सर्वे में 15,492 मतदाताओं ने अपने विचार रखे हैं। इसमें शामिल लोगों से सवाल पूछा गया, भारत में काले धन को कम करने के लिए सरकार को तुरंत क्या कदम उठाना चाहिए? इस पर सर्वे में शामिल 33 फीसदी लोगों ने कहा, सभी संपत्ति मालिकों को आधार से जोड़ना अनिवार्य करें। 38 फीसदी लोगों ने कहा, सभी मंत्रालयों और सरकारी कर्मचारियों और उनके प्रत्यक्ष परिवार के सदस्यों की सभी संपत्तियों का अनिवार्य खुलासा किए जाए।

इसके अलावा 10 फीसदी लोगों ने कहा, 2000 रुपये के नोट को तुरंत बंद करने में ध्यान देना चाहिए। वहीं सात फीसदी लोगों ने कहा, 10,000 रुपये से ऊपर के सभी नकद लेनदेन पर दो प्रतिशत लेनदेन कर लगाया जाना चाहिए।

सर्वे में शामिल पांच फीसदी प्रत्येक ने स्विस बैंक खाते के साथ सभी व्यक्ति की विस्तृत जांच कराए जाने और अन्य मुद्दों को तवज्जो दी। इसके अलावा दो फीसदी लोगों ने इस संबंध में कोई भी टिप्पणी नहीं की। पिछले साल के सर्वे के साथ तुलना करने पर, इस साल के परिणामों से पता चलता है कि किराने का सामान खरीदना और घरेलू कर्मचारियों को वेतन देना उस शीर्ष श्रेणी में ही बने हुए है, जहां नागरिकों ने नकदी में लेनदेन किया और पिछले 12 महीनों में इसकी उनके पास कोई रसीद नहीं है। ये मुख्य रूप से कम मूल्य के लेनदेन हैं, जिनमें लोग रसीद या वेतन पर्ची का ख्याल नहीं रखते हैं।

सर्वे में भारत के 300 से अधिक जिलों से 45,000 से अधिक प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं, जिनमें से 51 फीसदी उत्तरदाता टियर-1 से थे, जबकि टियर-2 से 34 फीसदी और टियर-3 एवं टियर-4 और ग्रामीण जिलों से 15 फीसदी लोग शामिल थे।

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