नई दिल्ली। खरीफ फसलों की बुआई से पहले सरकार की शीर्ष कृषि अनुसंधान इकाई भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने कृषि उत्पादन और किसानों की आय पर कोविड-19 की दूसरी लहर के असर से निपटने के लिए किसानों की मदद के वास्ते एक परामर्श दस्तावेज जारी किया है। आईसीएआर ने अपने 400 पन्नों के परामर्श दस्तावेज में कहा है, "2021-22 में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के कारण अलग-अलग तरीके से एक बार फिर देश के सामने गंभीर समस्या पैदा हो रही है। इसका कृषि उत्पादन और साथ ही राष्ट्रीय खाद्य एवं पोषण सुरक्षा पर असर पड़ सकता है।"
इसमें कहा गया कि उचित तकनीकी विकल्पों के साथ समन्वित प्रयासों से हालांकि, इस तरह की परिस्थितियों में एक स्थायी राह निकल सकती है। परामर्श में इस बात का उल्लेख किया गया कि कोविड महामारी की दूसरी लहर के बीच खरीफ मौसम शुरू हो रहा है और "इसलिए खरीफ से पहले की अवधि में किए जाने वाले सामान्य कृषि कार्य बाधित हो सकते हैं।" इसमें कहा गया कि श्रम की कमी से निपटने और समय पर सस्ती कीमतों के साथ जरूरी चीजों की उपलब्धता के लिए किसानों को खेतों में खासतौर पर जैविक खाद जैसी जरूरी चीजों का इस्तेमाल बढ़ाने की जरूरत है, संसाधनों के इस्तेमाल की प्रभावशीलता बढ़ाने और खेती की लागत कम करने के लिए सर्वश्रेष्ठ तरीकें अपनाने की जरूरत है। इसमें कहा गया कि इन चीजों को ध्यान में रखते हुए परिषद ने फसलों, मवेशियों, मुर्गीपालन, मत्स्य पालन को शामिल करते हुए देश भर में खरीफ मौसम के शुरूआती हिस्से की खातिर किसानों के लिए कृषि परामर्श तैयार किया है।
आईसीएआर ने कहा है कि परामर्श का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद भी किया गया है। आईसीएआर के महानिदेशक टी मोहपात्रा के मुताबिक कोविड- 19 की पहली लहर के बावजूद पिछले साल हासिल सफलता (कृषि क्षेत्र में) का श्रेय मुख्य तौर पर नीतिगत निर्णय को जाता है जिससे कि देश के हर कोने में किसानों का फायदा हुआ। चाहे खेती के लिये जरूरी खाद, बीज की बात हो या फिर श्रमिकों के कमी के चलते मशीनों की उपलब्धता हो अथवा विपणन क्षेत्र में समर्थन हर क्षेत्र में इसका लाभ मिला है।
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