मुंबई। बैंक कर्मचारियों की वेतन वृद्धि के मुद्दे पर भारतीय बैंक संघ (IBA) और बैंक यूनियनों के बीच कल बैठक होगी। बैठक में सार्वजनिक, निजी एवं विदेशी बैंकों समेत करीब 37 बैंकों ने अपने कर्मचारियों के वेतन के बारे में निर्णय लेने का जिम्मा बैंकों के प्रबंधन का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन भारतीय बैंक संघ (आईबीए) को दिया है। बैंक कर्मचारियों की मौजूदा वेतन समीक्षा नवंबर 2017 से लंबित है। इससे पहले, 5 मई 2018 को हुई बैठक में आईबीए ने 2 प्रतिशत वेतन वृद्धि की पेशकश की थी। इस पर यूनियनों ने नाराजगी जतायी और 30 मई से दो दिन की हड़ताल की।
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स (यूएफबीयू) के संयोजनक (महाराष्ट्र) देविदास तुलिजापुरकर ने कहा कि हम चाहते हैं कि बैंक पिछली दो प्रतिशत की पेशकश में सुधार लाएं। हम 25 प्रतिशत की मांग कर रहे हैं। लेकिन, हम बातचीत के लिए तैयार हैं।
10वां द्विपक्षीय वेतन समझौता मई 2015 को हुआ। यह समझौता नवंबर 2012 से लेकर अक्टूबर 2017 तक के लिए था। मई 2015 में हुए समझौते के तहत आईबीए ने वेतन में 15 प्रतिशत वृद्धि की पेशकश की थी।
तुलिजापुरकर ने कहा कि अब तक वेतन वृद्धि हमेशा ही दहाई अंक में हुई है जिसको लेकर हमें कोई परेशानी नहीं थी लेकिन 2 प्रतिशत की पेशकश हमें स्वीकार नहीं है। बैंक प्रबंधन ने पिछली कुछ तिमाहियों में बैंकों में घाटे का हवाला देते हुए वेतन में कम बढ़ोतरी को युक्तिसंगत ठहराया है।
यूनियन का कहना है कि लाभ में कमी का कारण फंसे कर्ज के एवज में अधिक प्रावधान होना रहा है और इसके लिये कर्मचारी जिम्मेदार नहीं है। कर्मचारी जनधन, नोटबंदी, मुद्रा और अटल पेंशन योजना समेत अन्य विभिन्न सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिये दिन-रात काम करते रहे हैं।
मई 2018 में हुई बातचीत में आईबीए ने यह भी कहा कि अधिकारियों की मांग पर बातचीत केवल स्केल-तीन के अधिकारियों तक सीमित होगी। बैंक कर्मचारियों के लिए पिछले 10वें द्विपक्षीय वेतन समझौते के 18 दौर की बातचीत के बाद अंतिम रूप दिया जा सका था।