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आयकर विभाग ने केयर्न से 30,700 करोड़ रुपए का जुर्माना मांगा, टैक्स भुगतान में देरी को लेकर जारी किया नोटिस

आयकर विभाग ने केयर्न एनर्जी के खिलाफ एक नया नोटिस जारी कर 30,700 करोड़ रुपए का जुर्माना मांगा है। कर का समय पर भुगतान नहीं करने पर मांगा गया है।

Dharmender Chaudhary
Published on: April 20, 2017 17:19 IST
आयकर विभाग ने केयर्न से 30,700 करोड़ रुपए का जुर्माना मांगा, टैक्स भुगतान में देरी को लेकर जारी किया नोटिस- India TV Paisa
आयकर विभाग ने केयर्न से 30,700 करोड़ रुपए का जुर्माना मांगा, टैक्स भुगतान में देरी को लेकर जारी किया नोटिस

नई दिल्ली। आयकर विभाग ने ब्रिटेन की कंपनी केयर्न एनर्जी के खिलाफ एक नया नोटिस जारी कर 30,700 करोड़ रुपए का जुर्माना मांगा है। कंपनी से यह जुर्माना उसके द्वारा 10,247 करोड़ रुपए के कथित पूंजीगत लाभ कर का समय पर भुगतान नहीं करने पर मांगा गया है।

कर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि आयकर विभाग ने पहले तो 10,247 करोड़ रुपए का नया मांग नोटिस भेजा जबकि उसके बाद एक कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि समय पर कर नहीं चुकाने और रिटर्न नहीं फाइल करने के लिए उस पर जुर्माना क्यों नहीं लगाया जाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि कर न्यायाधिकरण आईटीएटी ने हाल ही में पुरानी तारीख से कर लगाने को सही ठहराया था। अधिकारियों के अनुसार केयर्न एनर्जी ने कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए दस दिन का समय और मांगा है।

एक अधिकारी ने कहा, केयर्न एनर्जी पर पूंजीगत लाभ कर 31 मार्च 2007 को बकाया था, और इसके लिए रिटर्न दिसंबर 2007 तक दाखिल की जानी थी। लेकिन कर विभाग द्वारा कंपनी को 24 जनवरी 2014 को कर निर्धारण मसौदा भेजने के बाद कंपनी ने 31 मार्च 2014 रिटर्न दाखिल की। अधिकारी के अनुसार यह आकलन जनवरी 2016 में पूरा हुआ और 10,247 करोड़ रुपए कर मांग का अंतिम आर्डर जारी किया गया। दस साल के लिए ब्याज के रूप में 18,800 करोड़ रुपए का एक और नोटिस दिया गया।

अधिकारी ने कहा कि आईटीएटी ने नौ मार्च के अपने आदेश में कहा कि केयर्न एनर्जी को 2006 में भारत में अपनी आस्तियों को नयी कंपनी केयर्न इंडिया को स्थानांतरित करने पर पूंजीगत लाभ कर चुकाना होगा। लेकिन चूंकि कर मांग पुराने कर कानूनों के हिसाब से की गई है तो ब्याज नहीं लगाया जा सकता। अधिकारियों ने कहा कि आईटीएटी ने जुर्माना लगाने पर रोक नहीं लगाई है इसलिए नए नोटिस भेजे गए हैं।

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