नई दिल्ली। कर विभाग ब्रिटेन की तेल उत्खनन कंपनी केयर्न एनर्जी की पूर्ववर्ती अनुषंगी केयर्न इंडिया द्वारा दिए जाने लाभांश पर लगी रोक हटाने पर सहमत हो गया है। हालांकि, कर विवाद के चलते केयर्न एनर्जी की इस भारतीय इकाई में बची शेष हिस्सेदारी बेचने पर रोक जारी रहेगी।
आयकर विभाग ने पिछली तिथि से कर लगाने का अधिकार देने वाले 2012 के कानून का उपयोग करते हुए केयर्न एनर्जी की भारतीय इकाई के 10 साल पुराने आंतरिक पुनर्गठन में कथित पूंजीगत लाभ पर ब्रिटिश कंपनी से 29,047 करोड़ रुपए कर की मांग की है।
- विभाग ने इस कर मांग के चलते केयर्न एनर्जी को केयर्न इंडिया में अपनी शेष 9.8 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने पर रोक लगाई हुई है।
- केयर्न एनर्जी ने 2011 में कर मामला लंबित होने के दौरान ही केयर्न इंडिया को उद्योगपति अनिल अग्रवाल के वेदांता समूह को बेच दिया।
- बाद में उसने केयर्न इंडिया द्वारा केयर्न एनर्जी को दिए जाने वाले लाभांश के भुगतान पर भी रोक लगा दी।
- केयर्न एनर्जी ने अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के जरिये कर मांग को चुनौती दी।
- वहां उसने लाभांश भुगतान पर रोक के मामले को भी उठाया क्योंकि वह जनवरी 2014 के मूल आकलन आदेश का हिस्सा नहीं था।
ब्रिटिश कंपनी ने 2016 के अपने सालाना लेखा-जोखा में कहा, अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के जरिए केयर्न इंडिया लि. (सीआईएल) पर बकाया 3.1 करोड़ डॉलर के लाभांश पर अब रोक नहीं होने के बारे में पुष्टि हुई है। कंपनी ने कहा कि उसने केयर्न इंडिया से तत्काल राशि जारी करने को कहा है।