नई दिल्ली। HSBC होल्डिंग्स पीएलसी ने शुक्रवार को भारत में अपना प्राइवेट बैंकिंग बिजनेस, जो वेल्थ मैनेजमेंट सर्विस उपलब्ध कराती है, बंद करने की घोषणा की है। भारत के वेल्थ मैनेजमेंट बिजनेस से बाहर निकलने वाली यह दूसरी विदेशी कंपनी है। इससे यह साफ संकेत मिलते हैं कि भारत में घरेलू बैंकों की कड़ी प्रतिस्पर्धा का मुकाबला विदेशी बैंक नहीं कर पा रहे हैं। बैंक के एक प्रवक्ता ने कहा कि भारत में ग्लोबल प्राइवेट बैंकिंग बिजनेस की रणनीतिक समीक्षा करने के बाद बैंक ने अपना बिजनेस बंद करने का निर्णय लिया है। इस डिवीजन में 70 लोग काम कर रहे हैं, जिनके प्रमुख शांतनु अंबेडकर हैं। इन सभी को रिटेल बैंकिंग में स्थानांतरित किया जाएगा।
बैंक ने इस बात की घोषणा की अपने कर्मचारियों को किए गए एक आंतरिक ई-मेल में की है। इससे पहले दो माह पूर्व रॉयल बैंक और स्कॉटलैंड ने भी अपना प्राइवेट बैंकिंग बिजनेस अपने ही कुछ वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा शुरू की गई कंपनी को बेच दिया था। अभी यह पता नहीं चल पाया है कि एचएसबीसी प्राइवेट बैंकिंग के तहत कितना फंड मैनेज कर रही थी। बैंक के प्रवक्ता ने कहा कि यह बिजनेस मार्च 2016 तक बंद कर दिया जाएगा और कुछ चुनिंदा ग्राहकों को एचएसबीसी प्रीमियर में शिफ्ट होने का विकल्प दिया जाएगा, जो इसका ग्लोबल रिटेल बैंकिंग और वेल्थ मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म है। ब्रिटिश बैंक भारत में एचएसबीसी प्रीमियर के प्रोडक्ट और सर्विस का विस्तार करने के लिए निवेश करेगा, जो कुछ चुनिंदा ग्राहकों को उपलब्ध कराई जाएंगी।
उल्लेखनीय है इस वैश्विक बैंक की प्राइवेट बैंकिंग यूनिट काले धन को लेकर एक जांच का सामना कर रही है क्योंकि पत्रकारों के एक वैश्विक समूह आईसीआईजे की एक जांच में पाया गया था कि 1000 से अधिक भारतीयों ने 2007 तक एचएसबीसी की जेनेवा शाखा में चार अरब डाॅलर से अधिक धन लगाया।अधिकारी ने कहा कि इस बिजनेस को बंद करने का कारण बढ़ती लागत को कम करना है। इससे पहले बैंक ने लागत घटाने के लिए दुनियाभर में कर्मचारियों की छंटनी करने की भी घोषणा की थी। बैंक के एक प्रवक्ता ने कहा कि एचएसबीसी के लिए भारत के प्राथमिकता वाला बाजार है और यहां लगातार निवेश करते रहेंगे। प्राइवेट बैंकिंग बिजनेस के तहत उपभोक्ताओं को ऑनशोर वेल्थ मैनेजमेंट एडवाइजरी उपलब्ध कराई जाती है, जिसमें म्यूचुअल फंड, बांड्स, डिबेंचर्स और अन्य स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट्स में निवेश शामिल है।