नई दिल्ली। वैश्विक वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनी HSBC का कहना है कि जनवरी-मार्च तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 7.7% रहने में मुख्य रूप से ‘ सरकार का हाथ ’ है। इसके अनुसार आलोच्य तिमाही में निर्यात व निजी खपत के मोर्चों पर प्रदर्शन निराशाजनक रहा। उल्लेखनीय है कि बीते वित्त वर्ष की जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 7.7 प्रतिशत रही है। यह सात तिमाहियों का उच्चस्तर है।
इससे देश का सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था का दर्जा कायम रहा है। मार्च तिमाही में चीन की वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रही है। HSBC के मुताबिक सरकार के हाथ से GDP वृद्धि को बल मिला। रपट में इस लिहाज से चार कारकों - मूल सकल मूल्य वर्धन (GVA), GVA में सार्वजनिक खर्च के मद का हिस्सा, निर्माण क्षेत्र तथा केंद्र व राज्य सरकार के राजकोषीय घाटों में बढोतरी को रेखांकित किया गया है।
इसके अनुसार GDP के आंकड़े हमारे इस विचार की पुष्टि करते हैं कि वृद्धि में मौजूदा बढ़ोतरी मुख्य रूप से सरकार द्वारा निर्माण व खपत को बढ़ावा देने के कारण है। इसमें कहा गया है कि एक तरफ विनिर्माण व कृषि क्षेत्र की वृद्धि तेज हुई वहीं निर्यात व निजी खपत के मामले में हालत निराशाजनक रही।