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22 साल के इस लड़के ने 700 रुपए में दुनि‍या को साइबर हमले से बचाया

इंटरनेट की दुनिया में तबाही मचाने वाले कंप्यूटर वायरस रैनसमवेयर पर एक 22 साल के शख्स ने काबू पा लिया है। सिर्फ 700 रुपए खर्च कर रैनसमवेयर वायरस को रोका।

Ankit Tyagi
Updated on: May 15, 2017 16:49 IST
22 साल के इस लड़के ने 700 रुपए में दुनि‍या को साइबर हमले से बचाया- India TV Paisa
22 साल के इस लड़के ने 700 रुपए में दुनि‍या को साइबर हमले से बचाया

नई दिल्ली। इंटरनेट की दुनिया में तबाही मचाने वाले कंप्यूटर वायरस रैनसमवेयर पर एक 22 साल के शख्स ने काबू पा लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक छोटे से आइडिया से उन्होने इस खतरनाक वायरस पर काबू पाया है। इस बात की पुष्टी ब्रिटेन के एक सिक्योरिटी रिसर्चर ने बीबीसी से की है। उनका कहना है कि ह संयोग से मलिसस रैनसमवेयर को फैलने से रोकने में कामयाब रहे।

700 रुपए खर्च कर ऐसे पाया काबू

ब्रिटेन के रिसर्चर ने पहले नोटिस किया कि मलवेयर एक स्पेशल वेब ऐड्रेस से लगातार कनेक्ट होने की कोशिश कर रहा है जिससे नए कंप्यूटर समस्याग्रस्त हो जाते है। लेकिन वेब ऐड्रेस के जुड़ने की कोशिश के दौरान- अक्षरों में घालमेल था और ये रजिस्टर्ड नहीं थे। मलवेयर टेक ने इसे रजिस्टर करने का फैसला किया और उसने 10.69 डॉलर (700 रुपए) में खरीद लिया।

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इसे खरीदने के बाद उन्होंने देखा कि और किन कंप्यूटरों तक उसकी पहुंच बन रही है। इसी मलवेयर टेक को आइडिया मिला कि रैनसमवेयर कैसे फैल रहा था। इस मामले में उन्हें अप्रत्याशित रूप से रैनसमवेयर को रोकने में सफलता मिली। इस तरह के कोड को एक ‘किल स्विच’ के रूप में जाना जाता है। जब स्थिति नियंत्रण से बाहर होने लगती है तो कुछ हमलावर सॉफ्टवेयर तक फैलने से रोकने में इसका इस्तेमाल करते हैं। मलवेयर टेक ने अपनी खोज का परीक्षण किया और जब रैनसमवेयर को रोकने में सफल रहे तो उन्हें प्रशंसा भी मिली।

जांच के दौरान उनकी पलकें तक नहीं झपकीं

उन्होंने कहा कि रात में जांच के दौरान उनकी पलकें तक नहीं झपकीं। हालांकि उनकी तहकीकात से रैनसमवेयर के कारण जो नुकसान हुआ था उसकी भारपाई नहीं हो पाई, लेकिन नए कंप्यूटरों में फैलने से यह रुक गया। ऐसे में वह इस मामले में संयोगवश हीरो की तरह सामने आए।

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कौन है ये शख्स

हमले को रोकनेवाला 22 साल का ये शख्स मलवेयरटेक उपनाम से जाना जाता है। उन्होंने एक हफ्ते की छुट्टी ली थी, लेकिन वैश्विक साइबर हमले के बाद उन्होंने रैनसमवेयर की जांच करने का फैसला किया।मलवेयरटेक ने चेतावनी दी है, हमलोगों ने इसे रोक दिया, लेकिन दूसरा फिर से आएगा और हम इसे रोक नहीं पाएंगे। इसमें काफी पैसा है और इसे रोकने की कोई वजह नहीं है क्योंकि इसके कोड बदलने की पर्याप्त कोशिश नहीं की गई है।

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सफलता के बाद एक हफ्ते की छुट्टी बढ़ी

उन्होंने बीबीसी से इस बात को कबूल भी किया है। उन्होंने बीबीसी से कहा, ”लोगों का ध्यान ज़्यादा खींचा। मेरे बॉस ने मुझे इस वजह से एक और साप्ताहिक अवकाश दिया है।

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हार गया रैनसमवेयर 

जब वेब ऐड्रेस का रजिस्ट्रेशन हुआ तो उसने रैनसमवेयर को डिवास-टू-डिवाइस फैलने से रोक दिया। हालांकि जो कंप्यूटर चपेट में आ चुके थे उनके नुकसान की भरपाई नहीं हो सकी। सिक्योरिटी विशेषज्ञों ने भी चेतावनी दी है कि नए तरह के मलवेयर पर ‘किल स्विच’ का असर नहीं होगा। सिक्योरिटी रिसर्चर ट्रॉय हंट ने अपने ब्लॉग पोस्ट में लिखा है, ऐसे मलवेयर फिर से नहीं फैलने चाहिए। हालांकि, ये निश्चित तौर पर नकल है।

क्या है रेनसमवेयर वायरस

रैनसमवेयर एक कंप्यूटर वायरस है जो कंप्यूटर्स फ़ाइल को बर्बाद करने की धमकी देता है। धमकी दी जाती है कि अगर अपनी फाइलों को बचाना है तो फीस चुकानी होगी। ये वायरस कंप्यूटर में मौजूद फ़ाइलों और वीडियो को इनक्रिप्ट कर देता है और उन्हें फिरौती देने के बाद ही डिक्रिप्ट किया जा सकता है। खास बात ये है कि इसमें फिरौती चुकाने के लिए समयसीमा निर्धारित की जाती है और अगर समय पर पैसा नहीं चुकाया जाता है तो फिरौती की रकम बढ़ जाती है।

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