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खेल, मनोरंजन और बिजनेस का मेल है आईपीएल, करोड़ों रुपए का बना कारोबारी साम्राज्‍य

जब 2008 में इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की शुरुआत हुई थी तब इसे समकालीन भारत के लिए एक बेशकीमती खेल प्रतीक के रूप में देखा गया।

Dharmender Chaudhary
Updated on: April 08, 2016 13:55 IST
IPL Economics: हजारों की टिकट, लाखों के इनाम, करोड़ों के खिलाड़ी और अरबों का बाजार- India TV Paisa
IPL Economics: हजारों की टिकट, लाखों के इनाम, करोड़ों के खिलाड़ी और अरबों का बाजार

नई दिल्‍ली।  जब 2008 में इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की शुरुआत हुई थी तब इसे समकालीन भारत के लिए एक बेशकीमती खेल प्रतीक के रूप में देखा गया। इस लीग के जरिये न केवल दुनियाभर के बेहतरीन क्रिकेट खिलाडि़यों को एक जगह इकट्ठा किया गया, बल्कि इसने कॉर्पोरेट भारत को भी अपने साथ जोड़ लिया। अभी भी बहुत से लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कैसे आईपीएल फ्रैंचाइजी करोड़ों रुपए में स्‍टार खिलाडि़यों को खरीद रही हैं और उनको कैसे कमाई हो रही है।

आईपीएल को बिजनेस के‍ लिए किया गया है डिजाइन

आईपीएल की वास्‍तविकता यह है कि इसे बिजनेस के दृष्टिकोण से डिजाइन किया गया है। यह एक क्रिकेट टूर्नामेंट है, जिसे मूल्‍यवान कॉमर्शियल प्रॉपर्टी के तौर पर विकसित किया गया है। यह कंपनियों को आक्रामक ढंग से अपने बिजनेस को विज्ञापित करने का अवसर प्रदान करता है। आईपीएल का प्रमुख बिजनेस प्‍लान यह है कि प्राइवेट कंपनियों को क्रिकेट फ्रैंचाइजी खरीदने के लिए बुलाया जाए। जब फ्रैंचाइजी को बड़ी कीमत पर बेच दिया जाएगा, तब कॉर्पोरेट्स भारतीय क्रिकेट के प्रमुख घटकों में निवेश के लिए आकर्षित होंगे। यही वह रास्‍ता है जहां से पैसा आता है।

बड़ी-बड़ी कंपनियां लगाती हैं पैसा   

आईपीएल ने कॉर्पोरेट इंडिया को भारतीय क्रिकेट के ड्रेसिंग रूम में आने की अनुमति दी है। इससे पहले स्‍पोंसर्स पहले कभी प्‍लेयर्स की टीशर्ट पर अपनी कंपनी के लोगो के लिए पैसा नहीं देते थे, लेकिन अब इसके लिए मोटी रकम चुकाई जा रही है। अंतरराष्‍ट्रीय और बड़ी कंपनियां इस खेल को स्‍पोंसर कर रही हैं। भारत में क्रिकेट को लेकर अजीब पागलपन है, दुनिया में सबसे ज्‍यादा क्रिकेट प्रेमी और जनसंख्‍या भारत में हैं, जो लगातार बढ़ रही है। सभी लोग इस बात से सहमत हैं कि एंटरटेनमेंट इंडस्‍ट्री में कभी मंदी नहीं आती और आईपीएल बॉलीवूड और क्रिकेट का कॉकटेल है जो केवल एंटरटेनमेंट, एंटरटेनमेंट और एंटरटेनमेंट का वादा करता है।

आईपीएल टीम ऐसे बनाती हैं पैसा:

मीडिया राइट्स: आईपीएल में एक रेवेन्‍यू डिस्‍ट्रीब्‍यूशन मॉडल है, जहां बीसीसीआई ब्रॉडकास्‍टर और ऑनलाइन स्‍ट्रीमर से मोटी रकम वसूलता है। इसमें से अपनी फीस काटकर इस रकम को सभी आईपीएल टीम के बीच बांटा जाता है। इसका बंटवारा टीम रैंक के आधार पर होता है। खेल के अंत में जिस टीम की रैंक जितनी अधिक होती है उसे मीडिया रेवेन्‍यू में उतना बड़ा हिस्‍सा मिलता है। आईपीएल टीम द्वारा कुल कमाई में 60-70 फीसदी हिस्‍सा मीडिया राइट्स का होता है।

ब्रांड स्‍पॉन्‍सरशिप: ब्रांड स्‍पॉन्‍सरशिप के जरिये भी आईपीएल फ्रैंचाइजीस एक बड़ी रकम हासिल करती हैं। फ्रैंचाइजी ब्रांड के साथ टाइअप कर उनके ब्रांड व लोगो को टीम किट और जर्सी पर छापते हैं। स्‍टेडियम की बाउंड्री पर लगने वाले विज्ञापनों से भी कमाई होती है। खिलाड़ी की छाती और पीठ पर बड़े व बोल्‍ड अक्षरों में उस कंपनी का नाम या लोगो लगाया जाता है तो सबसे ज्‍यादा स्‍पॉन्‍सरशिप फीस चुकाता है। स्‍पॉन्‍सर्स टीम खिलाडि़यों के साथ कुछ कार्यक्रम भी आयोजित कर सकता है, जिसके जरिये वह अपने ब्रांड को प्रमोट करता है। कुल कमाई में स्‍पॉन्‍सरशिप का हिस्‍सा 20-30 फीसदी होता है।

टिकट बिक्री: स्‍टेडियम में टिकट बिक्री से भी कमाई होती है। टिकट का दाम टीम मालिक तय करते हैं। आईपीएल टीम के रेवेन्‍यू में टीकट की हिस्‍सेदारी तकरीबन 10 फीसदी है।

प्राइज मनी: आईपीएल में बहुत बड़ी नकद राशि ईनाम के तौर पर दी जाती है। 2015 में 40 करोड़ रुपए ईनाम के तौर पर दिए गए। टूर्नामेंट की चैंपियन टीम को ईनाम राशि का सबसे बड़ा हिस्‍सा मिलता है। प्राइज मनी को टीम मालिक और खिलाडि़यों के बीच बांटा जाता है।

मर्चेंडाइज सेल्‍स: भारत में खेल सामग्री का बाजार सालाना आधार पर 100 फीसदी की दर से बढ़ रहा है और यह बाजार तकरीबन 3 करोड़ डॉलर का है। प्रत्‍येक फ्रैंचाइजी मर्चेंडाइज की बिक्री करती है, जिसमें टी-शर्ट, कैप, रिस्‍ट वॉच और अन्‍य कई सामग्री शामिल हैं।

स्‍टॉल का किराया: मैच के दौरान फूड स्‍टॉल कॉन्‍ट्रैक्‍ट आधार पर थर्ड पार्टी को दिए जाते हैं जो इन्‍हें सब-कॉन्‍ट्रैक्‍ट के रूप में देती है। यह स्‍टॉल प्रति मैच प्रति स्‍टॉल एक तय कीमत पर दिए जाते हैं।

आईपीएल2016 में विज्ञापन से होगी 1200 करोड़ की कमाई

9 अप्रैल से शुरू हो रहे आईपीएल 2016 के लिए सोनी पिक्‍चर नेटवर्क्‍स ने अपनी सारी इनवेंट्री बेच दी है और उसे उम्‍मीद है कि इस सीजन में विज्ञापन से आय 1200 करोड़ रुपए होगी। एसपीएन इंडिया के अध्‍यक्ष रोहित गुप्‍ता ने बताया कि यह पहली बार हुआ है कि आईपीएल के शुरू होने से दो माह पहले ही हमनें अपनी सारी इनवेंट्री बेच दी है, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है।

जीडीपी में आईपीएल से जुड़ते हैं 1150 करोड़ रुपए

कंसल्टिंग फर्म केपीएमजी का अनुमान है कि आईपीएल से हर साल 2,650 करोड़ रुपए की आर्थिक गतिविधियां पैदा होती हैं, जबकि भारतीय जीडीपी में यह 1150 करोड़ रुपए का योगदान करता है। वर्तमान में 2 लाख करोड़ डॉलर वाली भारतीय जीडीपी में आईपीएल का योगदान मात्र 0.01 फीसदी है। अधिकांश विकसित देशों की जीडीपी में खेल का हिस्‍सा 1.5 से 2 फीसदी है। इस मामले में भारत को अभी बहुत लंबी यात्रा तय करनी है।

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